*प्रधानमंत्री ऑफिस ने कहा- मध्यप्रदेश की प्राइवेट यूनिवर्सिटीयो पर कार्रवाई करो!*
*फजीवाड़े में निजी विवि नियामक आयोग और उच्च शिक्षा मंत्री और मंत्रालय की भूमिका भी संदिग्ध!!*
मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भी मिली थी, जहां से जांच के निर्देश के बाद जांच की तो कई खामिया और अपराधिक क्रत्त्यो की पुष्टि हुई है । उधर शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव ने भी मप्र निजी विवि नियामक आयोग की भूमिका को जांच में संदिग्ध पाया !
दरअसल, निजी विश्वविद्यालयों की निगरानी का काम मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग का है .लेकिन यह आयोग गड़बड़ करने वाले विवि के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन पर पर्दा डाल रहा है।
*मध्य प्रदेश में संचालित निजी विश्वविद्यालयों द्वारा पैसे लेकर अयोग्य छात्रो को बांटी गई डिग्रियों से बिहार, तेलंगाना सहित कई राज्यों की भर्ती एजेंसियां परेशान हैं। अब इनकी डिग्रियों पर बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने सवाल भी उठाए हैं। बिहार में कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती प्रक्रिया के दौरान निजी विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को दिए गए मनमाने अंकों का मामला सामने आया है । वहां के भर्ती आयोग ने बिहार सरकार के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर इस बात की सूचना भी दी कि मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों के निजी विश्वविद्यालयों की मान्यता और उनके दिए प्रमाण पत्रों की जांच कर आयोग को सूचित किया जाए। मध्य प्रदेश में 41 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं।*
*जिन अभ्यर्थियों के डिग्री-डिप्लोमा पर बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने सवाल उठाए थे, वे सभी बिहार के मूल निवासी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सभी की डिग्रियां मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों द्वारा जारी की गई हैं। सभी को 80 प्रतिशत से ऊपर अंक दिए गए हैं।*
*इन विश्वविद्यालयों ने दिए 80 प्रतिशत से अधिक अंक !!*
*एसआरके विश्वविद्यालय भोपाल, एपीजे कलाम विश्वविद्यालय इंदौर, सर्वपल्ली राधाकृष्णन विश्वविद्यालय भोपाल, सर्वपल्ली राधाकृष्णन विश्वविद्यालय भोपाल, आरकेडीएफ विश्वविद्यालय, श्री सत्यसाई विश्वविद्यालय, सीहोर।*
*पीएचडी की डिग्री बांटने में नियमों की अनदेखी!*
पीएचडी की डिग्री बांटने में भी निजी विवि मनमानी कर रहे हैं। नियमानुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी के लिए वही गाइड हो सकते हैं, जो विवि के प्राध्यापक हैं। कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जिन्होंने सैकड़ों पीएचडी बांट दी लेकिन उनके पास ऐसे योग्य प्रोफेसर हैं ही नहीं।नियमानुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी के लिए वही गाइड हो सकते हैं, जो विवि के प्रोफेसर हैं।
कई विश्वविद्यालयो द्वारा चार वर्ष की डिग्री एक महीने में प्रदान कर दी जाती है। इन विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों का पंजीयन, उनकी फीस जमा करने की तिथि की सूचना निजी विवि आयोग को अनिवार्य रूप से दी जाना चाहिए, लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
अभी कुछ महीने पहले भी शिकायतें थी कि कई निजी विश्वविद्यालय चार वर्ष के पाठ्यक्रम की डिग्री एक महीने में प्रदान कर देते हैं। इस तरह की एक शिकायत के आधार पर तेलंगाना पुलिस ने एसआरके यूनिवर्सिटी, भोपाल और स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर में छापा मारा था। इन विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों का पंजीयन, उनकी फीस जमा करने की तिथि की सूचना निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग को अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
दरअसल, निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश देने के साथ ही छात्र की डिग्री पूर्ण होने तक प्रतिवर्ष उसकी फीस जमा करवानी चाहिए। छात्रों की सूची निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग को भेजनी चाहिए। कई मामलों में देखा जा रहा है कि निजी विश्वविद्यालय एक ही तिथि में सारी फीस जमा करवाकर डिग्री बांट रहे हैं।
*प्रदीप मिश्रा की कलम से