आदिवासी महिलाओं (tribal women) को नग्न घुमाने के दृश्य सामने आने के कुछ दिनों बाद जातीय हिंसा (violence) प्रभावित मणिपुर (Manipur) से डरावनी कहानियां सामने आ रही हैं। सेरौ पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के अनुसार, काकचिंग जिले के सेरौ गांव में एक स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter) की 80 साल पत्नी के घर (house) को उपद्रवियों ने आग (Fire) लगा दी। एक सशस्त्र समूह ने उनके घर पर गोलियों बरसाईं, फिर अंदर बंद 80 साल की वृद्ध महिला को आग के हवाले कर दिया। उनके पति एस चुराचंद सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिनकी मृत्यु 80 साल की आयु में हुई। एस चुराचंद सिंह को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था। यह घटना 28 मई के शुरुआती घंटों में हुई, जब सेरौ जैसी जगहों पर बड़े पैमाने पर हिंसा और गोलीबारी हुई।
जानकारी के मुताबिक, 3 मई को हिंसा शुरू होने से पहले मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 45 किमी दूर एक सेरौ गांव था। मगर अब केवल वहां जले हुए घर और दीवारों पर गोलियों के छेद बचे हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मेईती की मांग को लेकर घाटी-बहुल मेईती और पहाड़ी-बहुल कुकी जनजाति के बीच संघर्ष के दौरान यह सबसे अधिक प्रभावित गांवों में से एक था।
स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी 80 साल की इबेटोम्बी उस गांव के एक घर के अंदर थीं, जिसे कथित तौर पर उनके गांव पर हमला करने वालों ने बाहर से बंद कर दिया था और उनके घर में आग लगा दी। इबेटोम्बी के 22 वर्षीय पोते प्रेमकांत ने एनडीटीवी को बताया कि जब तक उनका परिवार उन्हें बचाने के लिए आता, तब तक आग ने पूरे घर को आग ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिसमें उनकी दादी जिंदा जल गईं।
प्रेमकांत ने बताया कि उन्होंने बहुत करीब से अपनी मौत देखी थी। जब उन्होंने अपनी दादी को बचाने की कोशिश की तो गोलियां उनकी बांह और जांघ को छू कर गईं। प्रेमकांत ने बताया, “जब हम पर हमला हुआ, तो मेरी दादी ने हमसे कहा कि अभी भागो और कुछ देर बाद वापस आओ। मुझे लेने के लिए वापस आना। दुर्भाग्य से, ये उनके आखिरी शब्द थे।” उनकी दादी वहीं रुक गईं और अपनी वृद्धावस्था ठीक से चलफिर न पाने के कारण वह असहाय थीं। गोलियों की बौछार उनके घर पर हुई और उपद्रवियों ने फिर उनके घर को आग के हवाले कर दिया गया।
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