- मौत के 20 घंटे बाद तक मरीज के शरीर में मिला कोविड वायरस, आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आई पॉजिटिव
कोरोना वायरस से मरीज के लंग्स और किडनी के अलावा ब्रेन, हार्ट, लिवर और पैंक्रियाज भी संक्रमित हुए हैं। इतना ही नहीं मरीज की मौत के बाद शव कोविड निगेटिव नहीं हुआ, बल्कि मौत के 20 घंटे बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह खुलासा भोपाल एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ फोरेंसिक मेडिसिन, क्रिटिकल केयर, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स की कोविड मृतकों की एटॉप्सी रिपोर्ट में हुआ है। एम्स के डॉक्टर्स ने अगस्त 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच 21 कोविड शवों का पोस्टमार्टम कर, उनके अंगों में कोविड के संक्रमण का एनालिसिस किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड मरीज के फेफड़ों के बाद कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रमण मरीजों के ब्रेन में मिला है। एटॉप्सी रिपोर्ट में शामिल 21 मृतकों में से 85 फीसदी के ब्रेन में कोविड का संक्रमण मरने से पहले हो चुका था। जबकि 75 फीसदी में कोविड का संक्रमण फेफड़ों के अलावा किडनी में हुआ था, जिसके चलते मरीज की मौत हुई। कोविड एटॉप्सी स्टडी के तहत 15 पुरुष और 6 महिलाओं के शवों का पोस्टमार्टम किया गया। इनमें 20 कोविड मृतकों को को-मोर्बिडिटी थी। जबकि एक मृतक, कोरोना संक्रमित होने के पहले पूरी तरह से स्वस्थ था। इस रिसर्च को इंडेक्स्ड मेडिकल जर्नल में पब्लिश होने भेजा गया है।
4 डॉक्टरों ने की कोविड मृतकों की एटॉप्सी स्टडी, इनमें से 3 महिला डॉक्टर
एम्स में 21 कोविड मृतकों के पोस्टमार्टम फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जयंती यादव , सीनियर रेसीडेंट डॉ. बृंदा पटेल और पीजी की पढ़ाई कर रही डॉ. एस. महालक्ष्मी और डॉ. जे. श्रवण ने किए। इनमें तीन महिला डॉक्टर हैं, जिन्होंने सभी 21 कोविड मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम किया। डॉ. यादव के मुताबिक 15 शवों का पोस्टमार्टम सुबह 5 से 7 बजे के बीच और बाकी 6 का रात में हुआ। ऐसा मृतकों के अंतिम संस्कार में पोस्टमार्टम के कारण देरी रोकने के लिए किया गया।
सुबह 4 बजे माॅर्च्यूरी पहुंच जाते डॉक्टर… उन्हें कुछ हुआ तो एम्स जिम्मेदार नहीं, ये लिखकर दिया
15 कोविड शवों का पोस्टमार्टम सुबह 5 से 7 के बीच किया
इस रिसर्च के लिए डॉक्टर्स को सुबह 4 बजे माॅर्च्यूरी पहुंचना होता था। इनमें से 15 कोविड मृतकों का पोस्टमार्टम तो सुबह 5 से 7 बजे के बीच हुआ। कोविड मृतकों के परिजनों से लिखित में सहमति लेने के बाद डॉक्टर्स ने खुद के रिस्क पर कोविड मृतक के शव का पोस्टमार्टम करने की लिखित में सहमति दी। ताकि कोविड मृतक के शव का पोस्टमार्टम करने के दौरान संक्रमित होने पर डॉक्टर्स या उनके परिजन एम्स प्रशासन को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकें।
लंग्स को गीली कॉटन से दबाकर निकाला तो ब्रेन को छैनी हथौड़े से काटकर खोला
कोविड डेडबॉडी के पोस्टमार्टम के दौरान एटॉप्सी कर रहे डॉक्टर संक्रमित न हों, इसके लिए रॉयल कॉलेज और पैथोलॉजिस्ट (इंग्लैंड) की एडवाइजरी फॉलाे की। एडवाइजरी में कोविड पोस्टमार्टम के दौरान फेफड़े, सिर से निकलने वाले एरोसोल से बचने की सलाह दी है। इसलिए लंग्स का सैंपल लेने उसे गीली कॉटन से दबाकर शरीर से निकाला। सैंपलिंग और जांच के बाद लंग्स को शरीर से जोड़ दिया। इसी तरह सिर को शॉ से खोलने के बजाय छैनी हथौड़े की मदद से काटकर खोला गया, ताकि माॅर्च्यूरी में एरोसोल न बनें।
लंग्स से ज्यादा पैं क्रियाज संक्रमित एटाप्सी की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. जयंती यादव ने बताया कि स्टडी में शामिल 21 शवों में से 35%के पैंक्रियाज में संक्रमण मिला है। जो फेफड़ों के अलावा दूसरे अंगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि करता है। एक 25 वर्षीय युवक को संक्रमित होने से पहले कोई भी बीमारी नहीं थी। लेकिन, पोस्टमार्टम के दौरान इसके फेफड़ों से ज्यादा संक्रमण पैंक्रियाज में मिला। इसकी पुष्टि हिस्टोपैथोलाॅजी रिपोर्ट में हुई है।
7 में से एक के परिजन ने दी पोस्टमार्टम की सहमति
एम्स भोपाल के डिपार्टमेंट ऑफ फोरेंसिक मेडिसिन की प्रमुख डॉ. अर्नीत अरोरा के मुताबिक एम्स में अगस्त से अक्टूबर 2020 के बीच 148 मरीजों की कोरोना से मौत हुई। 7 मृतकों के परिजनों की काउंसलिंग करने पर एक के परिजन ने पोस्टमार्टम की सहमति दी। एथिक्स कमेटी ने 5 अगस्त को एटॉप्सी की इजाजत दी थी। लेकिन, पहला पोस्टमार्टम 16 अगस्त को हुआ, क्योंकि 5 से 16 अगस्त के बीच मरने वाले 13 मरीजों के शव के पोस्टमार्टम के लिए परिजन राजी नहीं थे।