भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है

भारत का मीडिया कभी सोने की चिड़िया था, आज चांदी का है : प्रभु चावला

सम्पूर्ण मीडिया की प्रतिनिधि संस्था बने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया : प्रो. केजी सुरेश

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘मीडिया – कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

भोपाल। भारत की मीडिया कभी सोने की चिड़िया थी, अब वह चांदी की हो गयी है, आने वाले समय में वह तांबे की होगी या उससे भी नीचे जाएगी, अभी कह नहीं सकते। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने व्यक्त किये। उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘मीडिया – कल, आज और कल’ में विद्यार्थियों को ऑनलाइन संबोधित किया। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वरूप में परिवर्तन आवश्यक है। आज जब मीडिया का विस्तार हो चुका है तब इसे सम्पूर्ण मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का स्वरूप देना चाहिए।

मुख्य अतिथि प्रभु चावला ने कहा कि पत्रकार ठीक है तो पत्रकारिता ठीक रहेगी। पत्रकारिता की स्थिति के लिए पत्रकार ही जिम्मेदार हैं। कुछ लोगों के कारण आज समूची पत्रकारिता को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज न्यूज़ से ज्यादा, नाटकीयता महत्वपूर्ण हो गई है। पांच डब्ल्यू और एक एच पत्रकारिता का आधार है। उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गया है- व्हाट नेक्स्ट (आगे क्या)। यानी कोई घटना हुई उसका आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी पाठकों/दर्शकों को बताना है।

‘मीडिया – कल, आज और कल’ को स्पष्ट करते हुए चावला ने कहा कि पहले समाचार बनने के बाद शीर्षक बनते थे लेकिन अब शीर्षक के आधार पर हम समाचार को तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले का मीडिया विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला था। एक विशेष वर्ग द्वारा संचालित होता था। पहले का मीडिया धरती से जुड़ा हुआ था। आज का मीडिया आसमान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में फील्ड रिपोर्टिंग कम हो गयी है। आज हम दूसरों के बताई सूचना के आधार पर खबर बना रहे हैं। आज हम पकी-पकाई खबरों को परोस रहे हैं। पत्रकारिता बदनाम इसलिए हो रही है क्योंकि हम मेहनत करने से पीछे हटने लगे हैं। हमें देवर्षि नारद से प्रेरणा लेनी चाहिए। नारद जी प्रत्यक्ष जाकर समाचारों का संकलन करते थे और उसे वैसे का वैसा परोस देते थे। उन्होंने कहा कि किसी से डरो नहीं, किसी का पक्ष नहीं लो। श्री चावला ने कहा कि आने वाले समय में न्यूज़ को पूरी तरह प्रोडक्ट की तरह बेचा जाएगा। हालांकि यह काम कुछ हद तक अभी से शुरू हो चुका है।

पत्रकार की विचारधारा समाचारों पर हावी नहीं हो :
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि सामान्य व्यक्तियों की तरह पत्रकारों की भी कोई विचारधारा हो सकती है। इसमें कोई दिक्कत नहीं। लेकिन रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार को अपनी विचारधारा से मुक्त रहना चाहिए। समाचार लेखन में हमें विचारों की घालमेल नहीं करना चाहिए। हाँ, लेख लिखते समय आप किसी मुद्दे/घटना पर अपने विचार लिख सकते हैं। समाचार में तथ्यों की शुचिता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी मीडिया की जो कमियां हैं, वे हमें ही सुधारनी होंगी, उन्हें बाहर का कोई व्यक्ति नहीं सुधार सकता। इसके साथ ही कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज समय आ गया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया सम्पूर्ण मीडिया के लिए जिम्मेदार हो। मीडिया को जिम्मेदार बनाने के लिए उसके पास कुछ अधिकार भी हों। उसके स्वरूप को अधिक पारदर्शी, जवाबदेही और सक्षम बनाया जाए। इस अवसर श्री प्रभु चावला ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का विमोचन :
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ के नये अंक का भी विमोचन किया गया। मीडिया मीमांसा का नया अंक स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में ‘भारत@75 : मीडिया एवं जनसंचार के बदलते आयाम’ थीम पर केन्द्रित रहा। इसका आगामी अंक ‘भारतीय सिनेमा और स्वतंत्रता के 75 वर्ष’ पर केन्द्रित है। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी ने और आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में ‘मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी सभागार’ में शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

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