नई दिल्ली. देश में अमेरिकी दवा रेमडेसिवीर की सप्लाई शुरू हो गई है। हैदराबाद की ड्रगमेकर कंपनी हेटरो ने अमेरिकी एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिवीर का जेनेरिक वर्जन तैयार कर लिया है। कंपनी की ओर से बताया गया कि अभी इसकी 20 हजार डोज तैयार की गई हैं। हर एक डोज की कीमत 5400 रुपये है।
हेटरो के प्रवक्ता ने कहा कि 10 हजार डोज को तुरंत हैदराबाद, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र में सप्लाई किया जाएगा। बचे हुए 10 हजार डोज कोलकाता, इंदौर, भोपाल, लकनऊ, पटना, भुवनेश्वर, रांची, विजयवाड़ा, कोचीन, त्रिवेंद्रम और गोवा भेजे जाएंगे।
हेटरो और सिप्ला को मिला है लाइसेंस
पिछले हफ्ते ही अमेरिकी कंपनी से भारत की दो कंपनियों (हेटरो और सिप्ला) को रेमडेसिवीर दवा का लाइसेंस मिला है। 13 जून को ड्रग रेगुलेटर ने कंपनियों को रेमडेसिवीर का वर्जन बनाने की अनुमति दी थी। हेटरो की दवा का नाम कोविफॉर, जबकि सिप्ला इस दवा को सिपरेमि नाम से बेचेगी।
इस दवा का उपयोग कोरोना के उन मरीजों के लिए होगा, जिनकी हालत गंभीर और जो ऑक्सीजन पर हैं। हेटरो हेल्थकेयर लिमिटेड के मैनेजिंग डाइरेक्टर एम श्रिनिवास रेड्डी ने कहा कि कोविफॉर रेमडेसिवीर का पहला जेनेरिक ब्रांड है। उम्मीद है कि कोविफॉर से कोरोना मरीजों का इलाज जल्दी होगा। इससे मेडिकल सेवाओं पर बोझ नहीं पड़ेगा।
गर्भवती और बच्चों को नहीं दी जा सकती यह दवा
एक डोज में 100 मिलीग्राम दवा है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि कोविफॉर कोविड-19 के डेथ रेट को कम करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मरीजों को एक दिन में 200 एमजी का डोज और बाकी लगातार पांच दिनों तक 100 एमजी के डोज दिए जा सकते हैं। यह दवा गर्भवती या स्तनपान कराने वाली मां और 12 साल से कम उम्र वाले बच्चों को नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही लीवर के मरीजों को भी यह दवा नहीं दी जा सकती है।
क्या है रेमडेसिवीर दवा?
अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी गिलियड साइंसेज ने एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिवीर को इबोला के इलाज के लिए बनाया था। हालांकि, यह इबोला के इलाज में बेअसर रही थी। अमेरिका में इस दवा का कोरोना मरीजों पर परीक्षण किया गया था।
यहां के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉ. एंथनी फौसी ने बताया था कि रेमडेसिवीर से मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। यह दवा फायदेमंद हैं। इसके बाद भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोरोना मरीजों के लिए आपातकालीन स्थिति में इस दवा के उपयोग की अनुमति दी थी।