नगरीय निकायों के प्रथम चरण के चुनाव में मतदाता पर्चियों के वितरण में लापरवाही, मतदाता सूचियों में नाम गायब होने से हजारों मतदाताओं के मताधिकार से वंचित होने और इस वजह से भाजपा की जीत के लिए अशुभकारी वोटिंग प्रतिशत गिरने की खबर ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। अब भाजपा में इस बात पर चिंतन-मंथन हो रहा है कि, वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए पन्ना प्रमुख, पन्ना प्रभारी और ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ जैसे अभियान चलाने के बावजूद आखिर वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बजाय कम कैसे हो गया? नारदजी कहते हैं निकाय चुनाव के नतीजे जो भी हों, इस फेलुअर के लिए दोषी संगठन के एक प्रमुख पदाधिकारी भाईसाब को सूली पर टांगने की तैयारी हो रही है। निकाय चुनाव के बाद इन पदाधिकारी भाईसाब को कभी भी संगठन के दायित्व से मुक्त किया जा सकता है।
भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री सरपंच का चुनाव हारीं
कैडरबेस पार्टी भाजपा के लिए यह अच्छे संकेत कतई नहीं हो सकते कि, उनकी भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक (सदस्य) सुदर्शना नेत्री हाल ही हुए पंचायत चुनाव में सरपंच का चुनाव हार गई। ये सुदर्शना जब अमेरिका से लौटकर आईं थीं और 2015 में भोपाल के फंदा ब्लाक के बेरखेड़ी पंचायत की सरपंच चुनी गई थी, तो इन्होंने टीवी-अखबारों में खूब सुर्खियां बंटोरी थीं। इसके बाद भाजपा संगठन ने सुदर्शना नेत्री को ऐसा सिर पर बैठाया कि, भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बतौर सदस्य शामिल कर लिया गया। नारदजी कहते हैं कि, इस सुदर्शना नेत्री के सरपंच का चुनाव हार जाने के बाद भाजपा संगठन के उन पदाधिकारी भाईसाब की खूब किरकिरी हो रही है, जिनकी सिफारिश पर सुदर्शना नेत्री (कैडर को नजरअंदाज कर) को भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था।
मंत्रीजी सब पर भारी
शिवराज सरकार में लगातार शक्तिमान हो रहे एक मंत्रीजी की निकाय चुनाव में पार्षद/महापौर पद के प्रत्याशी के टिकट वितरण में एक तरफा दादागिरी चली है। टिकट वितरण में इन मंत्रीजी के सामने भाजपा कोर कमेटी की भी नहीं चल सकी। मंत्रीजी ने अपने जिस ‘प्रिय’ के नाम पर हाथ रखा, पार्टी को उसे महापौर का टिकट देना पड़ा है। पार्टी ने चार नगर निगमों-भोपाल, जबलपुर, कटनी और रीवा में मंत्रीजी के ‘प्रियों’ को भाजपा प्रत्याशी बनाया है। नारदजी कहते हैं कि, मंत्रीजी के चारों ‘प्रिय’ महापौर प्रत्याशियों की जीत-हार का तो बाद में पता चलेगा, लेकिन मंत्रीजी के सरकार में बढ़ते रुतबे से बाकी मंत्री परेशान होने लगे हैं। ये वही मंत्रीजी हैं, जिन पर सटोरिए हमेशा से भारी रहे हैं।
आखिर मोदीजी की भाजपा जा कहां रही है…!
सोशल मीडिया पर निकाय चुनावों के बीच एक आडियो वायरल हो रहा है (नारदजी इस आडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करते)। इस आडियो में भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं चुरहट (सीधी) से विधायक शरदेन्दु तिवारी किसी भाजपा कार्यकर्ता को गंदी-गंदी गालियां देते हुए धमका रहे हैं कि, निकाय चुनाव में फलां वार्ड के फलां मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट नहीं दिया, तो ठीक नहीं होगा। नारदजी कहते हैं कि, यदि यह अशोभनीय आचरण कोई आम भाजपा कार्यकर्ता करता, तो क्षम्य होता। लेकिन जब पार्टी का एक जिम्मेदार पदाधिकारी ही इस तरह का अमर्यादित आचरण करेगा, तो भाजपा के भीतर यह सवाल उठना लाजिमी है कि, आखिर पं दीनदयाल उपाध्याय और नरेंद्र मोदी की भाजपा जा कहां रही है? शरदेन्दु पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह (राहुल भैया) को शिकस्त देकर सुर्खियों में आए थे।
नेताजी की रागात्मकता के चर्चे
मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के रागात्मक स्वभाव के इन दिनों खूब चर्चे हैं। ये नेताजी मप्र कांग्रेस के पदाधिकारी भी हैं। कहते हैं जब भी कोई कांग्रेस कार्यकर्ता इनके पास आता है, तो उससे मिलने में खास रूचि नहीं दिखाते हैं। लेकिन जैसे ही कोई नेत्री पहुंच जाती है, तो इनके भीतर की रागात्मकता जाग जाती है। नारदजी को एक पुराने कांग्रेस नेता बताते हैं कि, जब ये नेताजी कांग्रेस शासनकाल में मंत्री होते थे, तब भी इनकी रागात्मकता के किस्से चटखारे लेकर सुने और सुनाए जाते थे। ——
कमल माखीजानी पर कौन है मेहरबान?
सत्ता और संगठन के केन्द्र विन्दु ग्वालियर के भाजपा जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी नियुक्ति के दिन से पार्टी के सबसे विवादास्पद नेता बने हुए हैं। कमल पर हाल ही में ग्वालियर भाजपा से निष्कासित किए गए कुछ भाजपाइयों ने आरोप लगाया है कि, उन्होंने निकाय चुनाव में पार्षद का टिकट दिलाने के नाम पर दस-दस हजार बतौर समर्पण निधि के लिए थे। यही नहीं निष्कासित भाजपाइयों ने सोशल मीडिया पर माखीजानी द्वारा समर्पण निधि के नाम पर लिए गए रुपए भाजपा संगठन से मांगने शुरू कर दिए हैं। भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता कहते हैं कि इससे माखीजानी की कम, भाजपा संगठन की इमेज ज्यादा खराब हो रही है। आखिर गंभीर आरोपों और पार्टी विरूद्ध आचरण के बावजूद माखीजानी पर कार्रवाई नहीं होने की वजह क्या है? पार्टी का कौन नेता माखीजानी पर मेहरबान बना हुआ है? ———————————– —–
-महेश दीक्षित