*भयावह हालात पर हम मूकदर्शक नहीं रह सकते : हाईकोर्ट* (19पीआर23जीडब्ल्यू)
*15 दिन में सुधारी जायें प्रदेश की मेडीकल स्वास्थ्य सेवाएं*
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रफीक अहमद और न्यायाधीश अतुल श्रीधरण की युगल पीठ ने कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य विवेक तंखा की पत्र याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुये, कोरोना महामारी के इस दौर में 15 दिन के अंदर प्रदेश की मेडीकल व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिये हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देशित किया हैं कि रेमेडिसिवर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित की जायें। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात भयावह है और ऐसे हालात में हाईकोर्ट मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती। हाईकोर्ट ने 2-3 साल में रिटायर मेडीकल स्टॉफ को सेवा में लेने के निर्देश दिये है। मामलें की अगली सुनवाई १० मई को की जायेगी। कोर्ट ने अगली सुनवाई में प्रदेश सरकार को अपनी एक्शन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
मध्यप्रदेश में कोरोना संकट और मरीजों के इलाज में बदइतंज़ामियों के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना सुरक्षित रखा फैसला सुना दिया है.. उन्नचास पन्नों के अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात भयावह हैं और ऐसे हालात में हाईकोर्ट मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा की पत्र याचिका सहित 6 अन्य जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत दिशा निर्देश दिए है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को दखल देने का आदेश दिया है और ये सुनिश्चित करने कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीज़न और रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कमी न होने पाए। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि वो उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीज़न, अस्पतालों में पहुंचाए और देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़वाने का प्रयास करे..
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि अगर जरुरत पड़े तो सरकार विदेशों से रेमडेसिविर का आयात भी करवाए। सबसे बड़ा निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी ज़रुरतमंद कोरोना मरीज को 1 घण्टे के भीतर रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल जाना चाहिए कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो सरकारी और निजी सभी अस्पतालों में ऑक्सीज़न और रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे..
ज़रूरत हो तो रेमडिसिवर का आयात करवाएं……..
हाई कोर्ट ने कहा कि ज़रूरत हो तो रेमडेसिविर का आयात करवाएं। साथ ही यह भी कहा कि इलाज के दौरान निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली ना कर पाएं। इसके लिए सरकार इलाज की दर को फिक्स करे।
अस्पतालों में रेमडेसिविर की कीमत करवाई जाए चस्पा………..
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मांग के एक घण्टे के भीतर मरीज को रेमडेसिविर मिल जाए। प्रदेश के सभी कोविड केयर सेंटर्स को फिर प्रदेश सरकार चालू करे। कोरोना का फैलाव रोकने प्रदेश में कोरोना की जांच बढ़ाई जाए।
प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाएं……………
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों, मैरिज हॉल, होटल, स्टेडियम को अस्थाई अस्पतालों के लिए अधिग्रहित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति की जाए। हाई कोर्ट ने कहा है की अगली सुनवाई से पहले सरकार अपनी एक्शन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
हाईकोर्ट ने अपने 39 पन्नों के आदेश में कहा है कि 9 अक्टूबर 2029 की स्थिति में प्रदेश में प्रारंभ किए गए 262 हॉस्पिटल के कोविड-19 सेंटर 62 डेडीकेटेड कोविड-19 केयर सेंटर और 16 डेडीकेटेड कोविड-19 होस्पिटल को पुनः प्रारंभ किया जाए। हाईकोर्ट ने विशेष तौर पर कहा कि मध्यम वर्ग निम्न मध्यमवर्ग गरीब और बीपीएल श्रेणी के लोगों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन रेमेडी सेवर और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए.
व्यवस्थाओं की दिन-प्रतिदिन जानकारी के लिए कलेक्टर एवं सीएमएचओ निजी सरकारी अस्पतालों पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रतिनिधियों से समय-समय पर मीटिंग आयोजित करते रहे जिससे अन्य आवश्यकताओं की भी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। शासन स्तर पर आईएमए और मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बैठक सुनिश्चित की जाए कि उपचार कराने वाले मरीजों से अत्यधिक शुल्क न वसूला जाए।