ब्लॉग:नया मंत्रिमंडल एक साहसिक पहल पर अनुभवहीनता इसकी सबसे बड़ी कमी

 

भाजपा सरकार ने अपने कुछ नए राज्यपाल और नए मंत्री लगभग एक साथ नियुक्त कर दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पिछली पारी में तीन बार अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया था.

अब इस दूसरी पारी में यह पहला फेरबदल है. मैं समझता हूं कि मंत्रिमंडलीय फेरबदल की तलवार हर साल ही लटका दी जानी चाहिए और हर मंत्री को उसके मंत्रालय के लक्ष्य निर्धारित कर पकड़ा दिए जाने चाहिए या उसे इन लक्ष्यों को स्वयं निर्धारित कर घोषित कर देना चाहिए.

मंत्रियों को यह पता होना चाहिए कि यदि उन्होंने घोषित लक्ष्य पूरे नहीं किए तो साल भर में ही उनकी छुट्टी हो सकती है. वर्तमान फेरबदल इस अर्थ में ऐतिहासिक और सराहनीय है कि राज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों में जितना प्रतिनिधित्व महिलाओं, पिछड़ों, आदिवासियों, अनुसूचितों, उच्च शिक्षितों और युवा लोगों को मिल रहा है, उतना अभी तक किसी मंत्रिमंडल में नहीं मिला है.

महिलाओं की जितनी बड़ी संख्या मोदी मंत्रिमंडल में है, उतनी बड़ी संख्या भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भी नहीं थी. इसी प्रकार शायद इतना बड़ा फेरबदल किसी मंत्रिमंडल में पहले नहीं हुआ. यह अदभुत भूल सुधार है. इसके लिए बड़ी हिम्मत चाहिए.

वर्तमान फेरबदल के पीछे कई दृष्टियां हैं. पहली तो यह कि अगले साल जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनके कुछ प्रभावशाली नेताओं को दिल्ली की गद्दी पर बिठाया जाए ताकि उन राज्यों के मतदाताओं का हित-संपादन विशेष रूप से हो, जिसके कारण भाजपा का वोट-प्रतिशत बढ़े.

दूसरी दृष्टि यह है कि जिन मंत्रियों के कामकाज में कमियां पाई गईं या उन्हें लेकर अनावश्यक विवाद हुए, उनसे सरकार को मुक्त कर दिया गया.

कुछ मंत्रियों ने अपने इस्तीफे पहले ही दे दिए. तीसरी दृष्टि यह रही हो सकती है कि अब कोरोना का खतरा लगभग समाप्त-सा दिखाई दे रहा है तो देश की राजनीति में ताजगी लाई जाए. इसीलिए युवाओं के मंत्री बनने से अब मोदी मंत्रिमंडल की औसत आयु 58 वर्ष हो गई है लेकिन यहां एक पेंच है. वह बड़ा खतरा भी सिद्ध हो सकता है.

मोदी मंत्रिमंडल की सबसे बड़ी कमी उसकी अनुभवहीनता है. प्रधानमंत्री बनने के पहले मोदी खुद कभी केंद्र में मंत्री नहीं रहे. उनके मंत्रियों में राजनाथ सिंह जैसे कितने मंत्री हैं, जो पहले केंद्र में मंत्री रह चुके हों. आप योग्यता आसानी से जुटा सकते हैं लेकिन अनुभव तो अनुभव से ही आता है. उसका कोई विकल्प नहीं है.

मोदी सरकार ने कुछ गंभीर मुद्दों पर इसलिए गच्चा खाया कि उसने अपने अनुभवी नेताओं को मार्गदर्शक मंडल की ताक पर बिठा दिया. कई महत्वपूर्ण मंत्रियों के इस्तीफे आखिर यही तो बता रहे हैं कि अनुभवहीनता सरकार पर कितनी भारी पड़ती है. यह नया मंत्रिमंडल पता नहीं कैसा काम करके दिखाएगा. यह भी देखना है कि यह नया मंत्रिमंडल 2024 में मोदी सरकार की वापसी को कैसे मजबूत करेगा.

Shares