पटना. दूरसंचार विभाग ने जाली दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त सिम कार्डों का इस्तेमाल कर वित्तीय धोखाधड़ी के खतरे को रोकने के लिए बिहार और झारखंड में 2.25 लाख से अधिक मोबाइल नंबरों को निष्क्रिय कर दिया है.
विभाग को जांच में पता चला कि कुछ लोग मोबाइल फोन का सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए नकली कागजों का उपयोग कर रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए दो राज्यों में ऐसे 2.5 लाख से अधिक सिम कार्ड बंद कर दिये हैं, जिनके दस्तावेज जांच में जाली पाये गये हैं. भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने फोन कंपनियों से यह भी कहा है कि वे फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड बेचने वाली दुकानों (POS) के साथ काम न करें.
517 दुकान ब्लैकलिस्ट, कार्रवाई के आदेश
समाचार एजेंसियों से जारी सूचना के अनुसार दूरसंचार विभाग ने 2.25 लाख मोबाइल नंबरों को ब्लॉक कर दिया है. ये सभी नंबर अवैध डॉक्युमेंट्स देकर खरीदे गये थे. विभाग ने टेलिकॉम कंपनियों से उन 517 POS पर भी ऐक्शन लेने के लिए कहा है, जो इस गलत काम में शामिल थे. इन्हें ब्लैकलिस्ट किए जाने के लिए कहा गया है. इस संबंध में दूरसंचार विभाग के एक बड़े अधिकारी ने कहा गया है कि अप्रैल माह में बिहार और झारखंड में 2.25 लाख से ज्यादा मोबाइल नंबर डिएक्टिवेट कर दिये गये हैं. ज्यादातर सिम कार्ड अवैध/अनैतिक तरीकों से हासिल किये गये थे. उन्होंने आगे कहा कि दोनों राज्यों के करीब 517 PoS को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, क्योंकि वो भी इन कामों में शामिल थे. उन सभी पीओएस और ग्राहकों के खिलाफ टेलिकॉम कंपनियां कानूनी कार्रवाई करने जा रही हैं.
जालसालों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई
इस पूरे मामले में दूरसंचार विभाग, राज्य की पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है. पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वह सिम जालसाजों पर ठोस व कठोर कार्रवाई करेगी. बताया जा रहा है कि दूरसंचार विभाग ने साइबर क्राइम से जुड़े खतरों पर लगाम लगाने के लिए पूरे देश में 87 करोड़ से ज्यादा सिम कस्टमर्स के चेहरों का विश्लेषण किया है. इससे जुड़े रिजल्ट्स को दूरसंचार विभाग की फील्ड यूनिट्स से शेयर किया जा रहा है, ताकि पुलिस की मदद से जालसाजों पर सख्त एक्शन लिया जा सके. बता दें, झारखंड भी डीओटी के लाइसेंस सेवा क्षेत्र में आता है.
बिहार-झारखंड के कई जिलों में FIR
ताजा रिपोर्ट में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स की ओर से बिहार के साथ-साथ झारखंड के कई जिलों में FIR दर्ज की गई है. DoT, पटना ऑफिस भी राज्य पुलिस के संपर्क में है और उसने टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन एनॉलसिस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेशियल रिकॉग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन से तैयार की गई इंटेलिजेंस को साझा किया है. राज्य पुलिस ने यह भी भरोसा दिया है कि सिम जालसाजों (PoS/सब्सक्राइबर्स) के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई शुरू की जाएगी.