मंहगाई से आम जनता के हालात पहले से ही खराब है और अब मुहाने पर खड़ा बिजली संकट, जो न केवल मंहगाई और बढ़ाएगा बल्कि बिजली जाने से आम आदमी का जीवन यापन मुश्किल होगा.
त्योहारी सीजन के दौर में बिजली का संकट देश की इकोनॉमी के लिए बुरी खबर है
कोरोना के झटके से उबर रही इकोनॉमी में सुस्ती आ सकती है।
दरअसल, बिजली संकट की वजह से इंडस्ट्री में प्रोडक्शन, सप्लाई, डिलीवरी समेत वो सबकुछ प्रभावित होगा जो इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज होती हैं।
इसका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर महंगाई से जोड़कर देखा जा सकता है।
कोयले के आयात बढ़ने की वजह से सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा खर्च होगा
चूंकि भारत के व्यापार में आयात डॉलर में होता है, इसलिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इसकी कमी देखने को मिल सकती है।
ये इसलिए भी अहम है क्योंकि रिकॉर्ड स्तर पर जाने के बाद अब लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। फिलहाल, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 637.477 अरब डॉलर है।
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत नहीं होते हैं।
केंद्र सरकार क्या कर रही:
- कोयले के स्टॉक का प्रबंधन करने और कोयले के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 27 अगस्त 2021 को एक कोर मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) का गठन किया था।
- इसमें एमओपी, सीईए, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रतिनिधि शामिल थे।
- सीएमटी दैनिक आधार पर कोयले के स्टॉक की बारीकी से निगरानी और प्रबंधन कर रहा है।
- इसके साथ ही बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में सुधार के लिए कोल इंडिया और रेलवे के साथ फॉलोअप कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है।
इस संकट से उबरने के क्या उपाय हो सकते हैं:
- कोयले का उत्पादन बढ़ाना ताकि घरेलू स्तर पर मांग की पूर्ति की जा सकें.
- कोयले के आयात को कम करना जिससे मंहगा कोयला न खरीदना पड़े और विदेशी मुद्रा कम खर्चना पड़े.
- बिजली खपत को कम करना होगा खासकर घरेलू और प्रशासनिक आफिस उपयोग हेतु ताकि उद्योगों को ज्यादा बिजली मिल सकें और हमारी लाइफ लाइन इंटरनेट बिना रुके हमें उपलब्ध हो.
- वैकल्पिक पावर स्त्रोतों की तलाश और उनका उत्पादन जैसे परमाणु टैक्नोलॉजी, हवा, पानी और सोलर जैसे प्राकृतिक उपायों से.
- आफिस और घरेलू उपयोग के लिए बिजली के युनिट्स तय करना और मापदंड बनाना जिससे खपत कम की जा सकें. साथ ही गैर जरूरी और सजावटी बिजली उपकरणों के उपयोग पर रोक लगें.
उम्मीद है हम आने वाले बिजली संकट से निपट पाएंगे और त्यौहारी सीज़न अच्छे से गुजरेगा.
बिजली बचाऐं, बिजली बढ़ाऐं
लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर