इंदौर, कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में समस्याएं लेकर आए दिव्यांग को शासन की योजना के तहत आवास मंजूर किया गया। साथ ही लाखों रुपये फीस लेकर भी नहीं पढ़ाने वाले कोचिंग क्लास के संचालक को कलेक्टर इलैया राजा टी ने फोन लगाकर चेतावनी दी कि विद्यार्थियों की फीस वापस नहीं की तो कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार को जनसुनवाई में आए कुम्हारखाड़ी निवासी दिव्यांग नीतेश मेहरा ने कलेक्टर के समक्ष समस्या रखी कि उनके रोजगार का कोई स्थायी इंतजाम नहीं है। किराए के घर में रहता हूं। मकान मालिक भी परेशान करते रहते हैं। दिव्यांग होने से बार-बार मकान बदलना भी संभव नहीं है। इस पर कलेक्टर ने प्रधानमंत्री आवास योजना में मेहरा को मकान स्वीकृत किया।
कोचिंग क्लास में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले कुछ बच्चे कलेक्टर से मिले। उन्होंने बताया कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए करीब पांच लाख रुपये जमा किए, लेकिन कुछ महीने की पढ़ाई हुई थी कि कोचिंग क्लास बंद कर दी। कलेक्टर ने तुरंत कोचिंग क्लास संचालक को फोन लगाया और निर्देश दिए कि इन बच्चों की फीस वापस कर दी जाए। इसी तरह एक मेधावी छात्रा की फीस जमा करने के लिए रेडक्रास सोसायटी से 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद स्वीकृत की गई।जनसुनवाई में एमवाय अस्पताल का विकलांग चपरासी अजय वाडगे नियमितीकरण की मांग को लेकर पहुंचा। अजय ने बताया कि वह 1998 से फिजियोथैरेपी विभाग में चपरासी के पद पर दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहा है। साथ वाले सभी कर्मचारियों 2014 में नियमित हो गए है। साल 2018 में विभाग के आवेदन के बाद भी ठेके में काम करवाया जा रहा है। साथ ही वेतन रोक लिया और काम भी नहीं करने दिया जा रहा है। वेतन ना मिल पाने के कारण परिवार की देखभाल, बच्चों की फीस, मकान किराया, पिता का इलाज करवाना मुश्किल हो रहा है। कृपया मुझे नियमित कर नौकरी दी जाए, ताकि मैं अपने परिवार का पालन कर सकु। इसपर कलेक्टर ने आश्वासन देते हुए निराकरण की बात कहीं।