*फाइल में बंद है कमलनाथ सरकार के वसूली आईपीएस अफसर और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के किस्मत की चाबी*
*विजया पाठक, :
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले दिनों आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमार कार्यवाही में काले धन की हेरफेर करने में सामने आए आईपीएस अफसर सुशोभन बनर्जी, बी मधु कुमार, संजय माने और एक राज्य पुलिस सेवा के अफसर अरुण मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती दिखाई पड़ रही है। कमलनाथ सरकार के समय अपने रसूख के लिए खास पहचान रखने वाले इन अफसरों पर बड़ी कार्यवाही किए जाने के मसौदे को शासन स्तर पर अंतिम रुप दिया जा रहा है। जाहिर है इस तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त इन अफसरों पर कार्यवाही किया जाना भी चाहिए, ताकि अन्य अफसरों को सीख मिल सके। लोकसभा चुनाव के दौरान आयकर विभाग के छापे की रिपोर्ट में काले धन से जुड़े जो तथ्य सामने आए थे उसके आधार पर पुलिस अधिकारियों को देने के लिए आरोप पत्र की फाइल तैयार कर ली गई है। गृह विभाग ने इस पर विधि विभाग से भी परामर्श लिया है। इसे तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी को देने की योजना है। यानि सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में चारों अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। किसी एक राज्य में चुनाव से पहले इस तरह की हरकत के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग पूरी तरह से एक्शन मोड में नजर आ रहा है और आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को इस पूरे मसले पर तैयार होने वाली फाइल और कार्यवाही किए जाने की जानकारी लेकर आने वाली 19 जनवरी को तलब किया है। इतना ही नहीं उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मुख्य सचिव के साथ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मप्र को भी पत्र लिखकर जानकारी दी। आयोग ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे इस तैयारी के साथ आएं और यह बताएं कि अब तक क्या किया, क्या करने वाले हैं और आगे कार्रवाई कब की जाएगी। कहते हैं न जैसा करोगे वैसा ही भरना होगा…। जांच के दायरे में आए तीनों आईपीएस सहित राज्य पुलिस सेवा के अफसर पर यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। पिछले डेढ़ वर्षों में इन चारों ने मिलकर प्रदेश में कमलनाथ सरकार के लिए जो उगाही की है, उसके लिए इन्हें सजा तो मिलना ही चाहिए इतना ही नहीं, यदि हो सके तो शिवराज सरकार को संघ लोक सेवा आयोग को इनकी सेवा मुक्ति के संबंध में पत्र लिखकर इनके काले कारनामों से परिचित कराना चाहिए ताकि प्रदेश की अन्य अफसरशाही के लिए यह मामला पूरी तरह से एक उदाहरण बनें। खास बात यह है कि ये अफसर अपने जिन आकाओं के लिए जनता से पैसे की लूट खसोट करते थे आज वो पूरी तरह से चुप्पी साधे बैठे हुए है। किसी तरह से न स्वयं कमलनाथ और ना ही कमलनाथ सरकार का कोई मंत्री इन अफसरों की पैरवी करता नजर आ रहा है। सभी कहीं न कहीं इस बात से भयभीत है कि कहीं सरकार उन पर कार्यवाही कर जांच शुरू न कर दें।