राजेन्द्र कानूनगो :
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रुद्राक्ष अपने आप में शक्तियों से परिपूर्ण होता है, चाहे वह कहीं से भी, किसी से भी, हासिल किया जाए। हाल ही में एक कथावाचक जो सीहोर जिले से ताल्लुक रखते हैं उनके द्वारा आह्वान किया गया कि शिवरात्रि के शुभ अवसर पर वो अभिमंत्रित रुद्राक्ष का वितरण करेंगे । फिर क्या था ? धर्म प्रेमी या कहा जाए, अंध धर्म प्रेमी जनता इस प्रकार टूट पड़ी यह मान कर कि इस अभिमंत्रित रुद्राक्ष को प्राप्त करने के पश्चात, उनके जीवन की सारी समस्याएं स्वतः हल हो जाएंगी और वह अपना जीवन सुख पूर्वक बिता सकेंगे । इसी लोभ में, इसी लालच में, सीहोर में इतनी भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े थे, जिसकी उम्मीद न तो प्रशासन को थी, और ना ही स्वयं आयोजन कर्ता कथावाचक महोदय को थी। इंदौर भोपाल सिक्स लेन के बीच लगभग 20 किलोमीटर लंबा जाम लगा। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री को सम्मिलित होना था, लेकिन वे इस स्थिति के चलते उक्त कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हुए और उन्होंने अपना प्रवास निरस्त कर दिया। सूत्रों की माने तो इसमें महाराष्ट्र से आई एक महिला की मृत्यु भी हो गई है । अनेक लोग बदहाल होकर बेहोश हो गए हैं । कईयों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो हालात प्रशासन के काबू में होना नहीं लगते । अब यहां पर प्रश्न यह उपस्थित होता है कि लोग ऐसे आयोजनों में क्यों इतनी बड़ी तादाद में सम्मिलित होते हैं? इसका साफ-साफ मतलब यह है कि आम जनता आज अनेक प्रकार से परेशान है, और वह अपनी परेशानियों का कारण और उनके उपायों के हल के लिए ऐसे तथाकथित संतों, महराजाओं की ओर दौड़ लगा देती है, जो उपाय उसे सहज लगते हैं । आम जनता को लगा कि अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्राप्त कर लेने भर से, उसकी समस्याएं हल हो जाएंगी, तो वह उस तरफ चल पड़ी ।
यहां पर एक बात और कहना अनुचित नहीं होगा जब एक और प्रदेश सरकार की विकास यात्राएं चल रही हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं, कि प्रदेश के लिए प्रदेश की जनता के लिए सरकार ने कितना विकास किया है। देश की आम जनता को उनकी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए सरकार ने कितनी योजनाएं चलाई हैं। और उनका लाभ प्रदेश की आम जनता को मिल रहा है । वहीं दूसरी ओर एक तथाकथित कथावाचक पूरे प्रदेश की सरकार को चैलेंज करते हुए मात्र अभिमंत्रित रुद्राक्ष देकर उनकी परेशानियों को हल करने के लिए सब्जबाग दिखाकर इतना बड़ा, लाखों लोगों का हुजूम इकट्ठा कर सकता है । और इस भीड़ के लिए वह स्वयं को किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं मानता है। और प्रशासन भी एक प्रकार से विवश हो जाता है । इस स्थिति को यदि हम हास्यास्पद स्थिति नहीं कहेंगे तो और क्या करेंगे । अतः प्रदेश के इन अंध विश्वासियों के लिए यही कहना पर्याप्त है कि यदि आपको किसी से कुछ मांगना है तो आप ईश्वर से मांगे। यह जो तथाकथित कथावाचक, संत और अन्य धार्मिक नेता हैं, यह सिर्फ अपनी और अपनी जेबें भरने के सिवा और कुछ नहीं करेंगे। आप परेशान होते रहेंगे और आप जिस स्थिति में हैं, उसी में बने रहेंगे।