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प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा 6 सप्ताह का समय

प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा 6 सप्ताह का समय

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे स्कूलों से फीस कि जानकारी लेकर वेबसाईट पर डालने के आदेश

इंदौर.

जागृत पालक संघ कि याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को दो सप्ताह में स्कूलों ने फीस के मदों कि जानकारी लेकर वेबसाईट पर डालने के आदेश दिए थे. लेकिन प्रदेश सरकार अब इसमें असमर्थ दिखाई दे रही है. इसके चलते प्रदेश सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए 6 सप्ताह यानि लगभग डेढ़ माह का समय मांगा है. जिसके पीछे कारण बताए गए हैं कि प्रदेश में 50 हजार से अधिक स्कूल हैं और पहली बार इस तरह का डाटा लिया जा रहा है जिसमे समय लगेगा. वहीँ अब तक 1307 स्कूलों से ही जानकारी मिलने कि बात कही गई है. इधर जिला समिति के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने और उसके निराकरण के लिए भी डेढ़ माह समय देने कि मांग कि है.
गौरतलब है कि टयुशन फीस के नाम पर स्कूल संचालकों द्वारा पुरी फीस वसुली जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था । इस मामले में इंदौर के जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडव्होकेट चंचल गुप्ता और सचिव सचिन माहेश्वरी व अन्य सदस्य जो लंबे समय से पालकों के हित में लड़ रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पालकों को राहत देते हुए कहा कि किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है तो वह जिला समिति के सामने शिकायत करेगा और समिति को चार सप्ताह में इसका निराकरण करना होगा। पूर्व में पालकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होता था और अधिकार क्षेत्र नहीं होने का कहकर टाल देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि निजी स्कूल केवल टयुशन फीस ले सकेंगे। अधिकांश स्कूल टयुशन फीस की आड़ में पुरी फीस ले रहे थे।
जिसके चलते जागृत पालक संघ हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में पुरी स्कूल फीस ले रहे स्कूलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जिसमें यह मांग भी रखी गई की प्रशासन शिकायत पर सुनवाई नहीं कर रहा। इसी दौरान प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी एक याचिका लगाई जिसमें मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान प्रदेश के लिए जो फैसला दिया है जिसके अनुसार निजी स्कूल पुरी फीस में से सिर्फ 15 प्रतिशत की कटोती पलको को देंगे। बाकी पुरी फीस पालकों को देनी होगी। अधिवक्ता मयंक क्षीरसागर ने निजी स्कूलों की इस मांग पर आपत्ति लेते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय से निवेदन किया कि पिछला सत्र पूरा बीत चुका है और निजी स्कूल एसोसिएशन ने अपनी याचिका में स्वीकार भी किया है कि वो आदेश को स्वीकारते हुए इस अनुसार फीस ले चुके हैं इसलिए इस समय इस तरह की मांग अनुचित है । सुप्रीम कोर्ट उक्त तर्कों से सहमत होते हुए स्कूल एसोसिएशन की याचिका निरस्त कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्कूलों को यह बताना होगा कि वह पालकों से जो फीस ले रहे हैं वह किस किस मद में ले रहे हैं, उसके अलग अलग हेड बताना होंगे। यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को लेना होगी इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन को इस जानकारी को दो सप्ताह में अपनी वेबसाईट पर अपलोड करना होगा । साथ ही अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर किसी पालक को स्कूल से कोई शिकायत है तो वह जिला समिति के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा और समिति को चार सप्ताह में इसका निराकरण भी करना होगा।

एडव्होकेट चंचल गुप्ता
अध्यक्ष

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