पन्ना राजघराने की महारानी को मंदिर से बाहर निकालने का पूरा मामला क्या है

मध्य प्रदेश के पन्ना राजघराने की महारानी जितेश्वरी देवी और ऐतिहासिक जुगल किशोर मंदिर समिति के बीच जन्माष्टमी को शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.

 

दरअसल, पिछले हफ़्ते महारानी जितेश्वरी देवी को जुगल किशोर मंदिर में हंगामे के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. इस मामले का वीडियो भी सामने आया था. इसमें साफ़ दिख रहा है कि मंदिर समिति के सदस्य जितेश्वरी देवी के साथ अभद्रता कर रहे हैं.

इसके बाद भी इस पूरे विवाद में जितेश्वरी देवी को दो रातें जेल में बितानी पड़ी हैं, हालांकि अब वह बेल पर बाहर आ गई हैं. उन्होंने मंदिर समिति पर कई तरह के आरोप लगाए हैं.

चश्मदीदों से मिली जानकारी के मुताबिक़, यह घटना जन्माष्टमी की रात 12 बजे जुगल किशोर मंदिर में हुई जब जितेश्वरी देवी आरती के दौरान गर्भ गृह में पहुंच गईं.

उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उसके बाद अभद्रता की जिसके बाद पुलिस की मदद से उन्हें बाहर ले जाया गया. उसके बाद उन पर मामला दर्ज़ किया गया. उन्होंने ज़मानत की कोशिश भी की लेकिन उन्हें बेल नहीं मिली और उन्हें जेल भेज दिया गया था.

पन्ना की महारानी ने क्या आरोप लगाए हैं?

मध्य प्रदेश के पन्ना की महारानी जितेश्वरी देवीदूसरी ओर इस मामले में इस बात के भी आरोप लग रहे हैं कि जितेश्वरी देवी को मंदिर गर्भ गृह में जाने से इसलिए रोका गया क्योंकि वह विधवा हैं.

वीडियो में यह भी दिख रहा है कि जितेश्वरी देवी गर्भगृह में पहुंचकर आरती को उठाने की कोशिश करती हैं और वो गिर जाती हैं. इसके बाद पंडित उन्हें बाहर खींचते हैं.

इसके बाद उनकी और मंदिर समिति के लोगों की बहस होती दिख रही है. उसके बाद महिला पुलिस भी आ जाती है और उन्हें बाहर ले जाया जाता है.

जितेश्वरी देवी ने बीबीसी को बताया, “जिन लोगों ने यह हरक़त की वो भक्त लोग या पुजारी नहीं हैं बल्कि उपद्रवी हैं. उन्होंने जान बूझकर उनके बेटे को अंदर नहीं जाने दिया ताकि बरसों से चली आ रही प्रथा टूट जाए. यही वजह थी कि मैं वहां पहुंची और उसके बाद उन्होंने यह हंगामा किया.”

जितेश्वरी देवी ने आरोप लगाया कि उनसे वहां पर मौजूद मंदिर समिति के लोगों ने जो बात की वो इतनी गंदी है कि उसके बारे में बता तक नहीं सकती हैं. यह बात भी दिलचस्प है कि मंदिर समिति में जितेश्वरी देवी खुद सदस्य हैं. लेकिन उनका आरोप है कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के स्थानीय नेताओं के दबाव में उन्हें समिति से किनारे करने की कोशिश भी की जा रही है.

जितेश्वरी देवी का दावा है कि 300 साल पुराने मंदिर में जन्माष्टमी के आयोजन में उनके परिवार की भागीदारी की परंपरा सदियों से चली आ रही थी.

उन्होंने आगे कहा कि उनके पास कई फोन रजवाड़ों से जुड़े लोगों के आए हैं जिन्होंने सलाह दी है कि उन्होंने मंदिरों में जाना छोड़ दिया है, उन्हें भी यही करना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि यह उनका हक़ है और वो इसे लेने के लिए संघर्ष करती रहेंगी.

पुलिस ने क्या जानकारी दी है

भारतीय जनता पार्टी के पन्ना के जिला अध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया से जब इस बारे में पूछा गया कि जितेश्वरी देवी बीजेपी के स्थानीय नेताओं पर मंदिर समिति के अंदर राजनीति करने का आरोप लगा रही है तो उन्होंने कहा, “इस विवाद के बारे में कोई जानकारी नहीं है, हम लोगों ने वही देखा है जो वीडियो में है, ऐसे में मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता कि पूरे मामले में क्या हुआ था.”

वहीं, पन्ना के पुलिस अधीक्षक सांई कृष्ण एस थोटा ने कहा, “पूजा के समय राजघराने के लोगों को बुलाने का चलन रहा है. पन्ना के महाराजा राघवेंद्र सिंह जूदेव के निधन के बाद सारी परंपराएं उनके पुत्र छत्रसाल द्वितीय को निभानी थीं. लेकिन वो नही आए और उनकी मां वहां पर पहुंच गई. मंदिर में चंवर डुलाने की परंपरा उनके द्वारा की जानी चाहिए थी.”

स्थानीय लोगों के मुताबिक़, पन्ना में जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है और इसमें राजघराने के लोगों की मौजूदगी में पूजन किया जाता है.

वहीं महारानी जितेश्वरी देवी के बेटे छत्रसाल द्वितीय ने बीबीसी को बताया कि उनके परिवार के साथ षड्यंत्र किया गया है. उन्होंने कहा, “सबने देखा कि मेरी मां को धकेला गया. मेरी मां को कोई जानकारी नहीं थी कि गर्भ गृह क्या है. मंदिर समिति के लोगों ने पहले मुझे वहां जाने नहीं दिया ताकि मैं परंपरा का निर्वाह न कर सकूं. जब मेरी मां वहां तक पहुंच गईं तो उनका अपमान किया गया. हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं और इसके लिए लड़ने में कोई बुराई नहीं है.”

वही मंदिर समिति के एक अधिकारी ने बताया, “जन्माष्टमी में राजपरिवार के लोगों द्वारा चंवर डुलाने की परंपरा रही है. इस साल महाराज की मौत होने की वजह से 17 साल के बेटे छत्रसाल द्वितीय को इस परंपरा का निर्वाह करना था. महारानी क्योंकि विधवा महिला हैं इसलिए वो इस परंपरा का निर्वाह नहीं कर सकती थीं. लेकिन इसके बावजूद वो मंदिर में पहुंच गईं और गर्भगृह में प्रवेश कर लिया. उन्होंने चंवर डुलाने की भी कोशिश की. इसे लेकर उनका विरोध शुरू हुआ और मामला दर्ज कर लिया गया.”

महारानी का विधवा होना थी वजह

पन्ना राजघराने के राजा छत्रसाल द्वितीयस्थानीय पुलिस के मुताबिक़, जितेश्वरी देवी पर धारा 295 ए और 353 के तहत मामला दर्ज किया गया था. शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के वक़्त भी वो मंदिर जा रही थीं. उन्हें चीफ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था. वहां पर उनकी ज़मानत की अर्जी ख़ारिज कर दी गई और उन्हें जेल भेज दिया गया था.

उन पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वो शराब के नशे में थीं जिस समय यह घटना हुई. जितेश्वरी देवी के मुताबिक शराब पीकर नशे में होने वाली बात भी ग़लत है. उनका कहना है कि अगर वह नशे में थीं तो उसी वक्त उनका मेडिकल टेस्ट क्यों नहीं करवाया गया. स्थानीय प्रशासन के पास उनकी इस सवाल का कोई जवाब नहीं है.

वहीं, दूसरी ओर जितेश्वरी देवी ने मंदिर में नियुक्त पुजारियों की योग्यता पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई है जिन्होंने पंडिताई की कोई पढ़ाई नहीं की है.

इस पूरे मामले को जुगल किशोर मंदिर के पुजारी पंडित देवी प्रसाद दीक्षित ने मीडिया से कहा कि महारानी के व्यवहार को किसी भी तरह से ठीक नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा, “जिस क्षेत्र में वो गईं, उसमें पुजारी के अलावा कोई भी नहीं जा सकता है. वहीं महारानी विधवा हैं तो वह किसी भी तरह से चंवर नहीं डुला सकती भगवान का.”

उन्होंने यह भी कहा कि वह अपराधी हैं और उन्होंने मंदिर की मर्यादा को भंग किया है.

महिला मुद्दों पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे ने कहा, “यह प्रकरण बताता है कि जब इतने बड़े परिवार से आने वाली महिलाओं के साथ यह हो सकता है तो समाज में पिछड़े वर्ग या दलित समुदाय से आने वाली महिलाओं के साथ क्या-क्या हो सकता है.”

रोली ने यह माना कि यह उदाहरण बताता है कि समाज में किसी भी प्रकरण में किस तरह से महिलाएं आसानी से टारगेट बनाई जा सकती हैं, चाहे उनकी सामाजिक हैसियत जो भी हो.

पहले भी जा चुकी हैं जेल

हालांकि जितेश्वरी देवी अपनी सास दिलहरी कुमारी से संपत्ति के विवादों को लेकर 2021 में भी जेल जा चुकी हैं. इन दोनों के बीच लंबे समय से अरबों रुपये की संपत्ति लड़ाई भी रही है.

महारानी के पुत्र महाराज राघवेंद्र सिंह भी अपनी पत्नी के साथ थे, इसलिए जुलाई 2021 में राजमाता दिलहरी कुमारी ने इनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है. इसके बाद जितेश्वरी देवी को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया था.

महाराज राघवेंद्र सिंह का निधन इस साल जनवरी में हो गया था. उन्हें साल 2009 में महाराज बनाया गया था. इसके बाद उनके पुत्र छत्रसाल द्वितीय का राजतिलक किया गया था. छत्रसाल द्वितीय महाराज राघवेंद्र सिंह जूदेव और जितेश्वरी देवी के बेटे हैं.

बहरहाल, इस मामले को लेकर करणी सेना भी सामने आ गई है. पन्ना में करणी सेना ने मंगलवार को प्रदर्शन कर मांग की है कि महारानी का अपमान करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. करणी सेना ने कहा है कि मंदिर समिति को भंग करना चाहिए और राज परिवार के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए.

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