नई उम्मीद : भारतीय न्याय व्यवस्था में बदलाव की उम्मीद
पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी
नई दिल्ली@ पत्रिका. लोकसभा में तीन विधेयकों पर करीब डेढ़ घंटे बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून में पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी तो परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी। अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी। नए कानूनों के साथ भारतीय न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा।
भारतीय न्याय संहिता
■ आइपीसी की 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराएं होंगी।
■20 नए अपराधों को जोड़ा।
■ 33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है।
■19 धाराएं निरस्त की गई हैं।
■ 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढाई और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई।
■ छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरू किया गया।
यह बदला
देशद्रोहः भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह को हटा दिया गया है। इसकी जगह देशद्रोह पर दंड का
प्रावधान किया गया है। देश की
एकता और अखंडता को खतरे में
डालने वाली गतिविधियों पर न्याय
संहित धारा 152 के तहत आजीवन कारावास या कारावास, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है, उससे दंडित किया जाएगा।
■18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का
प्रावधान।
■ गेंगरेप के मामलों में 20 साल या आजीवन कारावास की सजा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
सीआरपीसी की 484 धाराओं
के स्थान पर 531 सेक्शन होंगे।
कुल 177 प्रावधानों में बदलाव।
■ 14 धाराएं हटा दी गई हैं।
■ 35 जगह पर ऑडियो-वीडियो का प्रावधान जोड़ा गया।
44 नए प्रावधान तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं।
यह बदला
की पहली सुनवाई से 60 दिनों के अंदर आरोप तय किया जाएगा।
■ किसी भी आपराधिक केस में मुकदमे की समाप्ति के बाद 45 दिनों के अंदर जज को निर्णय देना होगा।
पहली बार आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच, ट्रायल, जजमेंट की
टाइमलाइन तय।
शिकायत मिलने के तीन दिन के भीतर एफआइआर दर्ज करनी होगी।
■ अब चार्जशीट 180 दिन में दाखिल करनी होगी और 14 दिन में मजिस्ट्रेट को इसका संज्ञान लेना होगा।
यौन उत्पीड़न पर मेडिकल जांच रिपोर्ट एग्जामिनर सात दिन में जांच अधिकारी को भेजेंगे।
■ सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा आरोप
18 वर्ष से कम उम्र की स्त्री के साथ गैंगरेप पर नई अपराध श्रेणी।
■ धोखे से यौन संबंध बनाने या शादी का झांसा देने वाले के लिए लक्षित दंड का प्रावधान।
■ भारतीय न्याय संहिता में पहली
■ सत्र न्यायालय द्वारा बरी करने या दोषसिद्धि का निर्णय बहस पूरी होने से 30 दिनों के भीतर होगा, जिसे कारण बताने में 45 दिनों तक बढ़ा सकते हैं।
देश छोड़कर भागे अपराधियों पर आरोप तय होने के 90 दिन के भीतर उनकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलेगा।
बार आतंकवाद की व्याख्या कर दंडनीय अपराध बनाया गया।
■ आतंकी कृत्य पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास होगी, जिसमें पेरोल नहीं होगा।
■ संगठित अपराध से जुड़ी एक नई धारा जोड़ी गई। 21-12-23
भारतीय साक्ष्य अधिनियम
■ मूल 167 धाराओं के स्थान पर 170 धाराएं होंगी।
कुल 24 धाराओं में बदलाव किया। छह धाराएं हटाई गई हैं।
यह बदला
■ दस्तावेजों में इलेक्ट्रानिक, डिजिटल रेकॉर्ड, ईमेल, स्मार्टफोन, लैपटॉप के मैसेज, लोकेशनल भी शामिल।
■ पहली बार इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रेकॉर्ड की कानूनी स्वीकार्यता व वैधता सुनिश्चित।
■ इलेक्ट्रानिक रूप से प्राप्त बयान साक्ष्य की परिभाषा में शामिल।
■ सशस्त्र विद्रोह, अलगाववादी गतिविधियों को नए प्रावधानों में जोड़ा।
■ मॉब लिंचिंग का नया प्रावधान।
■ जाति, समुदाय के आधार पर की गई हत्या से संबंधित अपराध का नया प्रावधान।