देश के संसदीय इतिहास में यह पहली घटना है। विपक्ष के हंगामे के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित।
इस चूक के लिए सीएम गहलोत के साथ-साथ आईएएस नरेश कुमार ठकराल, अखिल अरोड़ा, रोहित गुप्ता, कृष्ण कांत पाठक और बृजेश शर्मा जिम्मेदार।
10 फरवरी को राजस्थान विधानसभा में देश के संसदीय इतिहास की पहली घटना घटित हुई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री की हैसियत से ठीक 11 बजे विधानसभा में वार्षिक बजट पढ़ना शुरू किया। सीएम ने 10 मिनट तक भाषण पढ़ा, लेकिन तभी जलदाय मंत्री महेश जोशी ने सीएम गहलोत के कान में कुछ कहा। जोशी की बात सुनते ही गहलोत ने बजट पढ़ना बंद कर दिया। इसी दौरान प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने जोरदार हंगामा किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने गत वर्ष का भाषण पढ़ा। असल में मुख्यमंत्री ने शुरुआती जो घोषणाएं की वो गत वर्ष वाली ही थी। प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और उपनेता राजेंद्र सिंह राठौड़ ने आरोप लगाया कि यह बजट लीक हो चुका है। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री बजट पढ़ रहे थे, तब एक तीसरे व्यक्ति ने जलदाय मंत्री महेश जोशी को बताया कि मुख्यमंत्री दोषपूर्ण बजट पढ़ रहे हैं। कटारिया और राठौड़ ने सवाल उठाया कि आखिर तीसरे व्यक्ति को कैसे पता चला कि बजट दोषपूर्ण है। जाहिर है कि बजट के बारे में विधानसभा के बाहर भी लोगों को जानकारी हुई है। उन्होंने कहा कि बजट की तारीख और समय राज्यपाल के दौरान निर्धारित किया जाता है। अब चूंकि 11 बजे बजट प्रस्तुत नहीं किया जा सका, इसलिए विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दोबारा से राज्यपाल से अनुमति लेकर बजट प्रस्तुत किया जाए। विपक्ष के इस हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सदन की कार्यवाही आधा घंटे के लिए स्थगित कर दी। 11 बज कर 42 मिनट पर जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो स्वयं सीपी जोशी ने माना कि यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए। जोशी ने प्रस्ताव रखा कि 11 बजे के बाद से अब तक की विधानसभा की कार्यवाही को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए ताकि लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा बनी रहे। लेकिन विपक्ष ने जोशी के इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया। जब विपक्ष का हंगामा शांत नहीं हुआ तो संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल खड़े हुए और कहा कि मेरे पास भाजपा के कारनामों की लिस्ट है। यदि मैं यह बताऊंगा तो फिर भाजपा सामने खड़ी नहीं हो पाएगी। धारीवाल के इस कथन ने आग में घी डालने का काम किया। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने सीएम से कहा कि आप बजट पढ़ना शुरू करें। सीएम ने बजट पढ़ने से पहले विपक्ष से आग्रह किया कि वे इसे मुद्दा नहीं बनाए। सीएम ने कहा कि बजट लीक नहीं हुआ है, बजट का तीसरा पृष्ठ गलती से पुराना लग गया है। बजट पूरी तरह गोपनीय है किसी भी सदस्य को आशंका नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मानवीय भूल है, लेकिन विपक्ष सीएम गहलोत की बात से भी सहमत नहीं हुआ। विपक्ष का कहना रहा कि बजट को नए सिरे से तैयार कर सदन में प्रस्तुत किया जाए। दूसरी बार भी जब हंगामा होता रहा तो विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को एक बार फिर स्थगित कर दिया।
परेशान दिखे सीएम:
वार्षिक बजट में गलत पृष्ठ शामिल हो जाने से सीएम गहलोत बेहद परेशान नजर आए। उन्हें इस बात का अफसोस रहा कि जो बजट उन्होंने इतनी मेहनत कर बनाया है उस मेहनत पर पानी फिर रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर के लोग बजट को लाइव देख सके, इसके लिए पंचायत समिति स्तर तक टीवी लगाए गए। सरकारी स्कूलों में भी बच्चों को बजट दिखाने के इंतजाम करवाए गए। चूंकि यह चुनावी वर्ष है इसलिए सरकारी स्तर पर बजट प्रसरण का व्यापक प्रचार प्रसार भी किया गया। लेकिन एक गलती की वजह से गहलोत के बजट भाषण पर पानी फिर गया।
अधिकारी जिम्मेदार:
बजट पूर्ण रूप से सही हो इसकी जिम्मेदार वित्त मंत्री के नाते मुख्यमंत्री की है। लेकिन जिम्मेदारी उन अधिकारियों की भी है, जो बजट बनाने में व्यस्त रहे। 9 फरवरी को सीएम गहलोत ने स्वयं सोशल मीडिया पर बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट को तैयार करने में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, वित्त सचिव व्यय नरेश ठकराल, वित्त सचिव बजट रोहित गुप्ता, वित्त सचिव राजस्व कृष्णकांत पाठक, बजट निदेशक ब्रजेश शर्मा आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सवाल उठता है कि जब इतने बड़े बड़े अधिकारी बजट तैयार कर रहे थे, तब दोषपूर्ण पृष्ठ मूल बजट में कैसे लग गया? तीसरी दोपहर साढ़े बारह बजे जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो अध्यक्ष सीपी जोशी ने भरोसा दिलाया कि आज की सारी कार्यवाही रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी। इस पर विपक्ष शांत हुआ और सीएम गहलोत ने अपना बजट पढ़ना शुरू किया। दोषपूर्ण पृष्ठ के लिए मुख्यमंत्री ने माफी भी