देशी गाय के घी के ओषधि गुण

 

बचपन में यह नहीं पता था कि गाय का घी इतना महत्वपूर्ण क्यों है पर इतना जरूर पता था जब सर्दी खांसी जुकाम और बुखार छूटने का नाम नहीं लेता था तब बच्चों को पुराने गाय के घी का लेप छाती में और माथे पर लगाया जाता था यह हमारे देसी जुगाड़ का हिस्सा था एक परंपरा थी एक विरासत थी जो वर्षों से चली आ रही थी हर एक घर में कई वर्ष पुराना गाय का घी सुरक्षित करके दवा के रूप में रखा जाता था और यह कारगर दवा भी थी। बचपन में गाय के साथ धार्मिक आस्था ज्योति चली गई क्योंकि गाय के गोबर से ही घर आंगन लीपा जाता था जिसकी खुशबू आज भी महसूस होते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं गाय के गोबर से जैसे ही आंगन लिप पूत गया समझ में आ जाता था की पूजा पाठ है या फिर पर्व त्यौहार या कोई शुभ कार्य होने वाला है। घर में जब कोई पूजा पाठ का आरंभ हुआ तो प्रथम आदि देव गणपति गोबर से ही बनाए गए दूर अक्षत चंदन से उनका अभिषेक हुआ माता लक्ष्मी भी गोबर स्वरूप में ही विराजी। उम्र के साथ तजुर्बा बढ़ा तो समझ में आया कि सिर्फ गाय का घी दूध ही नहीं बल्कि गाय का गोबर और मूत्र तक औषधि है।गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है । नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है । गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है। गाय का घी नाक में डालने से बाल झड़ना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते हैं। गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। हाथ-पैर में जलन होने पर गाय के घी को तलवों में मालिश करें, जलन ठीक होता है। हिचकी के न रुकने पर खाली पेट गाय का आधा चम्मच घी खाएं, हिचकी स्वयं रुक जाएगी। गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है। गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है। अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें। गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है, इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है। गाय का शुद्ध घी वह होता है जो गाय के दही को मथ कर उसके क्रीम से तैयार किया जाता है। गाय की घी की खासियत है कि उसका सुगंध दूर से ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगा। जानकार बताते हैं की गाय के घी का दिया जलाने से घी के औषधि गुण का प्रसार होता है जिससे रोगरोधी वातावरण तैयार हो जाता है।

 

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