नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव हैं। अतः अभी से विभिन्न दल अपने अपने कार्यकर्ताओं को साधने में जुट चुके हैं। इसी क्रम में कांग्रेस भी मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावों को कुछ कर दिखाने की जुगत से लगी हुई है ओर अपने कार्यकर्ताओं को नसीहत दे रही है। दूसरी ओर कांग्रेस के नेतागण भी मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगातार दौरे कर रहें हैं।
गुटबाजी बन रही है अनुशासन हीनता का कारण
देखा जाए तो कांग्रेस में शुरू से ही गुटबाजी रही है। वर्तमान में भी कांग्रेस के प्रादेशिक नेता अपने अपने गुटों के कार्यकर्ताओं को ताकत देने में लगे हुए हैं। यही कारण ही कभी कभी अलग अलग गुटों के कार्यकर्ता आपस में मारामारी करते दिखाई दे जाते हैं।
इस प्रकार की घटनाएं हालांकि की पार्टी के अनुशासन को तार तार कर देते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि गुटबाजी राजनीतिक पार्टियों के लिए सही नहीं होती है। हालही में एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जिसमें गुटबाजी के कारण कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए।
हरदा जिले से सामने आया है मामला
असल में हुआ यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हरदा जिले के सोडलपुर गांव में पहुंचे थे। यहां पर वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश तथा उत्साह का संचार करने पहुंचे थे। लेकिन यहां स्थानीय नेताओं की गुटबाजी साफ़ दिखाई दी ओर कांग्रेस कार्यकर्ता दिग्विजय सिंह के सामने ही आपस में झगड़ने लगे। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने भी कार्यकर्ताओं को शांत रहने को कहा लेकिन किसी पर दिग्विजय सिंह की बात का कोई असर नहीं पड़ा।
इस दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि गुटबाजी में कौन तेरा ओर कौन मेरा कहना सही नहीं है। हमें आपस में नहीं झगड़ना चाहिए बल्कि सभी को साथ मिलकर चलना चाहिए। असल में यह हंगामा इसलिए हुआ था क्यों की प्रताप राजपूत ने जनपद पंचायत उपाध्यक्ष अनिल वर्मा पर कुछ आरोप लगा दिए थे। जिसके बाद में अनिल वर्मा भड़क गए तथा उन्होंने प्रताप राजपूत को अभद्र शब्द कह दिए। जिसके बाद दोनों के समर्थकों में हंगामा हो गया था।