इन्क्वायरी के नोटिस भेजना कर दिए शुरू
पिछले साल वेतनभोगी करदाताओं द्वारा आयकर में लिए रिफंड के मामलों में विभाग ने इन्क्वायरी के नोटिस भेजना शुरू कर दिए हैं। ज्यादातर नोटिस में करदाता द्वारा ली गई छूट के सबूत मांगे हैं, वहीं कुछ मामलों में करदाता के सीए, वकील या आयकर प्रोफेशनल का नाम, पता और नंबर भी मांगा जा रहा है। शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट अब क्लाइंट का रिटर्न भरने के साथ उनके द्वारा ली छूट के प्रमाण भी मांग रहे हैं। साथ ही इन्हें संभालकर रखना भी जरूरी हो गया है।
सीए अविनाश खंडेलवाल ने बताया कि ऐसे में जरूरी है, क्लाइंट की सभी जानकारी मेल पर या अन्य किसी औपचारिक माध्यम पर रखी जाए, जिससे रिकॉर्ड मेंटेन करने में आसानी हो सके। संभवतः विभाग सीए के पास जाकर भी उसके द्वारा ली गई छूट का सत्यापन कर सकता है। इसके साथ ही मांगी जा रही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी में रेंट संबंधी या होम लोन में भरे जा रहे ब्याज संबंधी प्रमाण शामिल हैं। कई करदाताओं द्वारा अपने आयकर में रेंट अलाउंस के नाम पर और होम लोन पर भरे जा रहे ब्याज की छूट ली जाती है, जिसे लेकर भी विभाग द्वारा नोटिस भेजे जा रहे हैं।
इसलिए की जा रही सख्ती
टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने बताया यह सख्ती देशभर के अलग-अलग हिस्सों में हुए स्कैम के मद्देनजर की जा रही है। बेंगलुरु में आईटी कंपनियों के कई कर्मचारियों ने भी इस प्रकार क्लेम करते हुए रिफंड लिया था, जिसके प्रमाण मांगे जा रहे हैं। अधिकतर कार्रवाई एआई द्वारा की जा रही है। इसमें एलआईसी, पीपीएफ, पार्टियों को दिए गए दान आदि छूट शामिल है।
संतुष्ट नहीं हुए तो स्क्रूटनी की कार्रवाई
अधिकतर करदाताओं को सामान्य इन्क्वायरी के नोटिस भेजे हैं। जवाब संतोषजनक न होने पर स्क्रूटनी कार्रवाई होगी। फिर असेसमेंट कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पेनल्टी व ब्याज लगाया जाएगा।