*शासन को चूना लगाने और सरकार की बदनामी करने वालों के बचाव में आबकारी आयुक्त का ये कैसा अभिमत ?
*वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अग्रवाल ने शासन के द्वारा नियुक्त सीनियर स्पेशल जांच अधिकारी श्रीमती श्रीवास्तव को पूर्वागृह से ग्रस्त बता कर, उनके कार्यवाही के प्रस्ताव को खत्म करने का अभिमत PS को दिया l
*इंदौर में हुए 71 करोड़ से अधिक के बैंक चालान कूटरचना अपराध में संजीव कुमार दुबे सहायक आबकारी आयुक्त सहित अन्य अपचारी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध जांच और कार्यवाही के लिए, शासन के द्वारा नियुक्त की गई सीनियर रिटायर्ड IAS श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव ने, हाईकोर्ट के आदेश के संज्ञान में, दुबे सहित अपचारी अधिकारियों/कर्मचारियों पर 06 वर्ष से चल रही विभागीय जांच के स्थान पर अन्य विधिक कार्यवाही करने की अनुशंसा दिनांक 26/12/2023 को, प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर से की, जिस पर PS ने आबकारी आयुक्त से अभिमत मांगl
*वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने दिनांक 25/10/2024 को अपने अभिमत में यह लिखा है कि “स्पेशल जांच अधिकारी श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव का मत व्यक्तिगत होकर पूर्वागृह से ग्रसित होना प्रतीत होता है l
*अब प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर अमित राठौर को तय करना है कि वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने सीनियर और शासन की स्पेशल जांच अधिकारी की अनुशंसा को व्यक्तिगत और पुर्वागृह से ग्रसित कैसे बताया है ? जबकि स्पेशल जांच अधिकारी श्रीवास्तव ने अपना मत हाईकोर्ट के आदेश के संज्ञान में दिया है, इस तरह वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने हाईकोर्ट के उस आदेश को भी पूर्वागृह से ग्रसित बता दिया है, हाईकोर्ट ने दुबे की याचिका पर ही जारी आदेश में “आबकारी अधिकारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है” लिखा हैl
*दिनांक 25/10/2024 को वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने PS को अपना अभिमत भेज दिया है, जिसमें संजीव दुबे के अभ्यावेदन दिनांक 25/01/2024 को शासन के द्वारा जारी आदेश दिनांक 22/07/2024 से अमान्य करने की जानकारी भी दी हैl
*वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने अपने अभिमत में थाना रावजी बाजार इंदौर में दर्ज अपराध क्रमांक 172/2017 में जांच जारी होने का उल्लेख भी किया है अर्थात अपचारी आबकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को इस प्रकरण में ही आरोपी बनाए जाने की उम्मीद कायम हैl
*ज्ञात हो कि स्पेशल जांच अधिकारी श्रीमती श्रीवास्तव ने जांच से अलग होने के पूर्व अनुशंसा की थीl
*अब, वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने प्रभावित होकर अभिमत दिया है या स्पेशल जांच अधिकारी ने पूर्वागृह से ग्रसित होकर शासन की स्पेशल जांच में व्यक्तिगत मत दिया इसकी जांच अलग से करने की मांग उठी हैl
*शासन को मोटे राजस्व की हानि पहुंचाने का, ये प्रदेश में पहला मामला होगा, जिसमें जूनियर होकर भी सीनियर जांच अधिकारी पर वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने ऐसी विपरीत टिपण्णी लिखित में की हैl
*सवाल यह भी उठ रहा है कि जब शासन ने शासन स्तर पर स्पेशल जांच अधिकारी नियुक्त किया था फिर कनिष्ठ अधिकारी के अभिमत का क्या औचित्य है ? क्या मंत्रालय के अफसर कोई भी निर्णय सीधे नहीं लेते है क्या ?
*आबकारी आयुक्त के अभिमत से यह भी संदेश गया है कि रिटायर्ड होने के बाद सीनियर IAS के पक्ष की क्या हैसियत होती हैl
*ज्ञात हो कि दिनांक 02/02/2024 को अभिजीत अग्रवाल को शासन ने वि.क.अ.सह आबकारी आयुक्त पदस्थ किया है अर्थात अभी ये पूर्ण पात्र नहीं है l