आपको जानकर हैरानी होगी कि जोमेटो कंपनी का वित्तीय वर्ष 19-20 में शुद्ध घाटा 2350 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 20-21 में 816 करोड़ रुपये का हैं. 2021 में इसकी सकल बिक्री/ आय 2700 करोड़ रुपये की थी और इसकी परिसंपत्तियों का मूल्य लगभग 8700 करोड़ रुपये है.
इस कंपनी ने अपने पहले शेयर निर्गम द्वारा बाजार से सफलतापूर्वक 9350 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए है. इतना ही नहीं बाजार ने इसके पब्लिक इश्यू को हाथों हाथ लेते हुए 40 गुना ओवर सब्सक्राइब किया- मतलब लगभग 360000 करोड़ रुपये का निवेश आया.
लगभग 9000 करोड़ रुपये परिसंपत्तियों के मूल्य वाली इस कंपनी का बाजार ने लगभग 68000 करोड़ रुपये का मूल्यांकन किया.
मात्र एक संकल्पना आधारित टेक्नोलॉजी कंपनी जो पिछले कई वर्षों से घाटे में चल रही है, उसमें भारतीय जनता द्वारा भारी निवेश दर्शाता है लोगों के निवेश करने के स्वरूप को, सोच में बदलाव को और मापदंडों में बदलाव का.
अब लोग यह देख रहे हैं कि आने वाले दीर्घ काल में कौन सा व्यापार और कंपनियां आगे बढ़ेंगी एवं कौन से ऐसे क्षैत्र है जो संभावनाओं से भरे पड़े हैं. फिर चाहे वो घाटे वाली कंपनियां ही क्यों न हो, लेकिन दीर्घ काल में इनमें निवेश फायदेमंद होगा.
जोमेटो भारत की पहली युनिकोर्न स्टार्ट अप कंपनी है जिसका गठन सन् 2008 में दो नई सोच रखने वाले युवा उद्यमी दिपेन्द्र गोयल और पंकज चड्ढा ने किया था.
यूनिकोर्न स्टार्ट अप वे होते हैं जिन कंपनी का न्यूनतम मूल्यांकन 100 करोड़ का होता है और जो एक नये बिजनेस आइडिया पर आधारित होती है.
युवा सोच और नये बिजनेस आइडिया पर आम निवेशक का बढता विश्वास निवेश के नये मापदंड स्थापित कर रहा है. अब निवेशक यह नहीं देखता कि कंपनी लाभ में है या घाटे में, उसके पास परिसंपत्तियां है कि नहीं, उसके पास कोई बड़ा प्रोमोटर है या नहीं- देख रहा है तो भविष्य में होने वाली संभावनाओं को.
आने वाले समय में बाजार से पैसे उगाहने के लिए कंपनियों को अपने निवेशकों को व्यापारिक संभावनाओं पर विश्वास दिलाना होगा.
जोमेटो की बात करें तो आज लगभग 23 देशों में 131233 रेस्टोरेंट से इनका टाइअप है और 161637 इसके डिलिवरी पार्टनर है. औसतन 1 करोड़ आर्डर इनको फूड डिलिवरी के हर माह मिलते हैं.
भारत में आज लगभग 60 करोड़ लोग इंटरनेट उपभोग करते हैं और मात्र 3 % ही ई-कामर्स से जुड़े हैं. यदि ये प्रतिशत 6 % पर भी आता है, तो जोमेटो और ई-कामर्स कंपनियों के व्यापार वृद्धि की असीम संभावनाएं छुपी है और शायद बाजार और निवेशक इसी आईडिया से उत्साहित होकर निवेश को एक नया स्वरूप प्रदान कर दिया है, जो अब सिर्फ और सिर्फ व्यापारिक संभावनाओं पर आधारित है.
*आर्थिक सलाहकार एवं लेखक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर