जैविक तथा प्राकृतिक खाद के उपयोग के लिए किसान स्तर तक प्रोत्साहन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए

उर्वरकों की समय रहते उपलब्धता सुनिश्चित की जाए – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

 

वर्तमान वर्ष में सर्वाधिक रही उर्वरकों की उपलब्धता

 

जैविक तथा प्राकृतिक खाद के उपयोग के लिए किसान स्तर तक प्रोत्साहन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए

रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए किसानों को विकल्प उपलब्ध कराया जाए

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की प्रदेश में उर्वरक प्रबंधन की समीक्षा

 

भोपाल : 28 दिसम्बर, 2024,

 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यूरिया, डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों की समय रहते उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए गौवंश आधारित जैव उर्वरकों को प्रदेश में प्रोत्साहित किया जाए। कृषक, पारम्परिक अनुभव और स्वयं की पहल पर बड़े पैमाने में जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। यह मिट्टी की गुणवत्ता और धरती की सेहत के लिए भी लाभप्रद है। उपयोग की जा रही जैविक खाद की मात्रा की गणना और दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है। इस आधार पर प्रदेश में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ाने के लिए कृषकों को प्रोत्साहन प्रदान करने का मॉडल विकसित किया जाए। राज्य की यह पहल अन्य प्रदेशों के लिए भी अनुकरणीय होगी। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए जैविक तथा प्राकृतिक खाद जैसे विकल्प किसानों को उपलब्ध कराए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में उर्वरक प्रबंधन की समीक्षा के दौरान यह विचार व्यक्त किए। समत्व भवन में हुई बैठक में सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग, अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

 

उर्वरकों के अग्रिम भंडारण की व्यवस्था सुनिश्चित करें

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसानों को फसल चक्र के अनुसार समय रहते उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए उर्वरक वितरण के प्रमुख केन्द्रों पर अग्रिम भंडारण सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए कार्ययोजना विकसित करने के निर्देश दिए गए। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में फसलों की बुवाई लगभग 97 प्रतिशत है। वर्तमान वर्ष में यूरिया, एन.पी.के.,एस.एस.पी और एम.ओ.पी. उर्वरकों की उपलब्धता गत चार वर्षों में सर्वाधिक है। वर्तमान तक उपलब्ध 35 लाख 68 हजार मेट्रिक टन में से 32 लाख मेट्रिक टन से अधिक यूरिया का वितरण हो चुका है। इसी प्रकार 9 लाख 29 हजार मेट्रिक टन एन.पी.के., 10 लाख 58 हजार मेट्रिक टन एस.एस.पी, 91 हजार मेट्रिक टन एम.ओ.पी. वितरित हो चुका है। इसी प्रकार 10 लाख 82 मीट्रिक टन डीएपी और 20 लाख 11 हजार मेट्रिक टन डीएपी + एन.पी.के. वितरित किया जा चुका है। बैठक में विभिन्न जिलों में माहवार उर्वरक व्यवस्था पर चर्चा हुई तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

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