जरा धीरे चलो भारती जी ,बड़े झंझट हैं बीयू में

 

महेन्द्र सिंह :

भोपाल ,8 जनवरी| बरकतउल्ला विश्वविधालय के नए रजिस्ट्रार डॉ बलराम भारती कामकाज संभालने के बाद कुछ ज्यादा ही जल्दी में हैं ,इससे एक धड़ा तो बेहद खुश है ,जबकि दूसरे के मन में यह है कि कहीं इस जल्दबाजी के चक्कर में व्यवस्थाएं और बेपटरी न हो जाएं|

राज्य शासन ने बीयू में सात महीने के लिए डॉ बलराम भारती को रजिस्ट्रार की कमान सौंपी है,वह इसी साल 31 जुलाई को रिटायर होंगे| डॉ भारती तेज-तर्रार हैं और बीयू में पहले भी डीआर रह चुके हैं| यहां कुछ एक लोगों से उनकी पुरानी जान पहचान है ,सो उन्होंने अपनी गोटियां बिठाना शुरू कर दी हैं | एक ठेकेदार ने तो बगैर किसी वर्क आर्डर /टेंडर के उनके बंगले का रंग रोगन और मन मुताबिक काम भी कर दिया है ,इससे लंबे समय से सिस्टम से बाहर लोगों की बांछें खिल गईं हैं और उनकी उम्मीदें परवान चढ़ गईं है कि अब उनकी भी फाइलें फिर से दौडनें लगेंगी और “माल” बनने लगेगा | कुछ एक ने तो इधर –उधर हडकाकर पुरानी फाइलें ढूढ़वा ली हैं और कुछ नए प्रस्तावों के लिए जुट गए हैं ,सब जगह बताते घूम रहे हैं कि रजिस्ट्रार साहब ने कहा है ,जो झांसे में आ गए तो ठीक वरना अपना रास्ता पकड़ लेते हैं लेकिन वह भूल गए हैं कि बंगले की बात अलग है,रजिस्ट्रार की गरिमा होती है और उसी के मुताबिक आवास आदि की व्यवस्थाएं भी होती हैं किन्तु बाकी मामला थोड़ा अलग है| बीयू का सिस्टम बदनाम है ,इसलिए वह शायद ही कोई रिस्क लें और फूंक -फूंक कर कदम रखेंगे|

डॉ भारती जब पहले यहां पदस्थ थे ,तब बात और थी और आज हालात अलग | एक –एक बात पर लोगों की नजरें हैं और “अपने” ही बैरी हो गए हैं ,सो 156 लोगों की वर्षों पुराना भर्ती घोटाला अब गले की फांस बन गया है | 2014 में शिक्षकों की भर्ती में जस्टिस अरुण गोहिल की जांच की आंच किस –किस पर आएगी,एकदम साफ़ है ,लेकिन फिर भी टल्लेबाजी चल रही हैं ,देखते हैं बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी | बीयूआईटी में जिस तरह से आँखें मूंदकर वेतन के अलावा पेग्रेड दिए गए ,उसमें आज नहीं तो कल तलवार गिरेगी ही | एनपीएस घोटाला इतना बड़ा है कि विश्वविधालय कब तक लीपापोती करेगा | ओएफसी का जिन्न जब –तब बोतल से निकल ही आता है | स्टेम सेल में “बड़े वाले” प्रोफ़ेसर साहब ने जो गुल खिलाया है ,उसकी खतो-कितावत कहां नहीं चल रही है ? ऊपर से नए- नए कारनामे और हो जाते हैं ,कभी आरएसी में गड़बड़ कर देते हैं तो लड़के शिक्षा मंत्री से लेकर गवर्नर साहब तक की चौखट की धूल ले डालते हैं | करे कोई और भरे कोई ,इसी तर्ज पर जबाव कुलपति जी को देना पड़ता है | अपनी तो सलाह यही है कि भारती जी थोड़ा धीमे चलो , बीयू में बड़े मायावी लोग हैं | हम पर भरोसा न हो तो पुराने रजिस्ट्रार शुक्ला जी से पूंछ लो ,”विदाई” हुई तो सब दांये-बांये हो गए | मुफ्त का माल बनाया और जब सितारे बदले तो कन्नी काट गए | आपके फरमान आजकल बीयू में चर्चा में हैं,इनका जरा पालन भी कराइए| वेतन नहीं मिला तो सोमवार को सुरक्षा कर्मियों ने हड़ताल कर दी .आपने मनाया तो आपका मान रखने को मान भी गए | वेतन तो दिलाइए ही ईपीएफ की भी पड़ताल करा लो कि बेचारे गरीबों के खाते में गया भी कि नहीं | आपकी (विश्वविधालय) ही जिम्मेदारी थी साहब,कहीं ऐसा तो नहीं कि जिम्मेदारों ने ही आंखे मूंद ली हो | लगे हाथों यह भी देख लो कि कितने सुरक्षा गार्ड लगते हैं और बिल कितने का बनता है और बारीकी से देखना है किसी दिन सुबह –शाम वैसे ही जायजा ले लो ,सब अंदाजा लग जाएगा कि आपकी सुरक्षा में कितनी झोल है | कर्मचारियों  को भी ज़रा काम पर लगा दो,जिससे ज़रा याद रखें कि किससे पाला पड़ा है | बायोमेट्रिक से हाजिरी लगवा दो ,अभी जो अतिरिक्त काम का भत्ता मांगते हैं ,कामचोरों को वेतन के भी लाले पड़ जाएंगे | कामों की फेहरिस्त लंबी है ,लेकिन आपके पास समय कम है |

 

“तरह –तरह के लोग खड़े हैं ,तरह –तरह के लोभ पड़े हैं उठाओ हल बलराम (हलधर ),

कर दो ऐसा काम कि लोग तुम्हें याद रखें |”

 

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