जय हो 181 की/सीएम हेल्पलाइन और उसका पुण्य प्रताप.

 

प्रदेशभर में सीएम हेल्पलाइन ने अद्भुत कार्य किया है। सरकारी कर्मचारी सभी प्रमुख कार्यों को छोड़कर इसे बंद कराने में लगे रहते हैं। अन्यथा वरिष्ठ अधिकारी उन्हें अर्थदंड, सजा देने में कोई गुरेज नहीं करते हैं। कर्मचारियों से बात करने पर पता चलता है कि जो शिकायतें जेनुइन होती है उनका काम तत्काल समय सीमा के भीतर कर दिया जाता है,किंतु बहुत सी शिकायतों में लोग जवाब देना तक ठीक नहीं समझते और बल्कि यूँ कहते हैं कि हमें मजा आता है कि तहसीलदार,पटवारी दरोगा,मुंशी, निरीक्षक, पुलिस अधीक्षक हमारे घरों के चक्कर लगाते रहते हैं।

कुछ शिकायतकर्ता तो कहते हैं कि हमने शिकायत कर दी है अब पुलिस और प्रशासन हमारे चरणों की रज को अपने माथे पर लगाए तब हम सोचेंगे कि हमें शिकायत बंद करना है या नहीं।
कर्मचारी इस कदर परेशान हैं कि बहुत से लोगों ने सीएम हेल्पलाइन को ब्लैकमेलिंग का अड्डा बना रखा है।
वरिष्ठ अधिकारी जिसमें राजस्व के लेवल में अधिकारी कलेक्टर है और पुलिस में उपमहानिरीक्षक (D.I.G)  हैं जो पिछले 1 वर्ष से कोई शिकायत को फोर्स क्लोज नहीं की है क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी की चिंता है और नीचे वाले अधिकारियों को सजा देने का परम सिद्ध अधिकार है। कैसी विडंबना है ये कि बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने के लिए नीचे के किसी भी अधिकारी को कभी भी कुर्बान कर देते हैं।

मैं मुख्यमंत्री जी से यह प्रश्न अवश्य रखता कि जिन शिकायतो में कर्मचारी परेशान होते हैं और बड़े अधिकारी सुनते तक नहीं है आप कम से कम उन शिकायतों को तो बंद करिए जिनमें कानूनी रूप से वैध कार्यवाही विभाग द्वारा कर दी गई है।

एक जिले के अधिकारी ने उदाहरण के तौर पर बताया कि जैसे ही एक पक्ष थाने में F.I.R. कराता है वही दूसरा आरोपी पक्ष CM हेल्पलाइन कर देता है कि आपने गलत F.I.R. लिखी है हमारी तरफ से भी F.I.R. लिखिए अन्यथा हम शिकायत बंद नहीं करेंगे। पुलिस को मजबूरी में शिकायत बंद कराने के लिए काउंटर F.I.R. करनी पड़ती है जो न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है इससे आरोपी पक्ष को फायदा मिलता है और फरियादी पक्ष परेशान होता है।

जबकि कई बार थानेदार यदि आरोपी पक्ष की ओर से F.I.R. नहीं करता है तो शिकायत बंद कराने का दबाव उस पर आता है और बड़े अधिकारी उसे फोर्स क्लोज  करने की बजाय सजा देते हैं कि तुम्हारे इलाके में बहुत शिकायत आ रही है।

यदि शिकायत L1 के लेवल  से बढ़कर L2 तक पहुंच गयी है तो इसका तात्पर्य है कि L1 का अधिकारी शिकायत बंद कराने में नाकाम रहा है। तब L2 अधिकारी को आवश्यक रूप से शिकायतकर्ता से संपर्क साध कर शिकायत सुननी चाहिए।

पुलिस थाने के पर्यवेक्षण हेतु SDOP  से लेकर ASP,  SP,  DIG, IG, ADG, DGP तक बने हुए हैं। किंतु इन वरिष्ठ अधिकारियों खासकर L3 अधिकारी D.I.G. से पूछा जाना चाहिए कि आपने अपने लेवल पर शिकायत आने पर कितने शिकायतकर्ताओं से बात की है और फर्जी शिकायत पाये जाने पर क्या कार्यवाही की?

मुख्यमंत्री जी कर्मचारी ब्लैकमेलरों से परेशान हैं और अपना मुख्य काम छोड़के शिकायतकर्ता के पैर पखारने में ही लगे रहते हैं।

Shares