श्रीगोपाल गुप्ता:
आज पूरा देश चहुं और संकटों से घिरा हुआ है ,एक और जहां वैश्विक महामारी कोरोना वायरस आम और खास भारतीयों को अपनी जद में ले रहा है तो वहीं सीमा पर नेपाल, पाकिस्तान और चीन भारत को घेरने में लगे हैं,अर्थव्यवस्था भी रसातल में जाने की जिद पाल बैठी है मतलब चारो और हा-हाकार मचा हुआ है! मगर जिनके कंधों पर इस महा विपदा से हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तानियों को बचाने की महत्ति जिम्बेदारी है वे आओ तोड़ो -जोड़ों अपनी सरकार बनायें और अपनी सरकार बचायें का खेल पूरी बेशर्मी के साथ खेलने में मग्न हैं!देश की जनता हैरान, परेशान और चकित हैं कि देश के वर्तमान आधुनिक भाग्य विधाता कहां तक गिरने की कबायद करेंगे और कहां तक गिरेंगे? देश को आजाद कराने से पहले और आजादी के बाद देश को आजादी दिलाने, विधान और संविधान लिखने वाले महा मनीषियों और महानायकों को भी ये ईल्म कभी न होगा कि आने वाले उनके वंशज और भाग्य विधाता इस कदर सत्ता के नशे में चूर हो जायेंगे कि देश को उसके भाग्य पर छोड़कर सत्ता का साम्रज्य बढ़ाने का सपना संजों कर बैठ जायेंगे! आज पूरा विश्व संगठित होकर कोरोना के दंश से लड़ रहा है मगर इससे जुदा भारत में कोरोना के महासंकट से प्रमुख दल सरकार बनाओ और बचाओं के फेर में पढ़ गये हैं! जबकि पिछले चार महिने से कोरोना के कहर से आंतकित भारतीय लाॅकडाऊन के कारण भूख-प्यास, ठप्प काम-धंधों, दम तोड़ती शिक्षा-स्वास्थ और भुखमरी के साये में जीने के लिए विबस हैं मजबूर हैं ,मगर सरकारें हैं,जो इनकी वैचारिगी का खुला मजाक उड़ा रही है!
माईडीयर फ्रैंड शी जिनपिंग की चीनी खुफा से निकल कर कोरोना पूरे विश्व में पिछले पांच माह से नंगा तांडव कर रहा है! विश्व के 1,29 लाख लोगों को कोरोना ने अपने दंश से घायल कर दिया है और करीब 5,70,348 लोगों लील गया है, भारत में भी अभी तक ये 9 लाख का आंकड़ा पार कर गया है लगभग 24 हजार लोग इसकी चपैट में आकर अपने जीवन से हाथ धो चुके हैं! मगर लगता है कि सरकारों को इन मौतों और करोना के कहर से हलकान देश वासियों की कोई चिंता नहीं है! जब कोरोना ने मार्च में देश को अपने बहुपास में जकड़ने का काम तेजी से शुरू किया और केन्द्र सरकार को इससे लड़ाई शुरु करनी थी तब वो कांग्रेस की मप्र सरकार से लड़ रही थी और उसे गिराने व अपनी सरकार बनबाने तक उसने कोरोना को खुलेआम संरक्षण दिया, नतिजा सामने है कि किस कदर कोरोना भारत में 10 लाख के आंकड़े की और तेजी से बढ़ रहा है! वही कहानी पुनः राजस्थान में दोहराई जा रही है केन्द्र की भाजपा सरकार मात्र डेढ़ साल पहले प्रदेश की जनता द्वारा चुनी गई कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के माध्यम से गिराकर अपनी पार्टी की सरकार बनाने की जुगत में है! हालात इतने खतरनाक और भयावह हो गये हैं कि जिस राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर प्रदेश के आठ करोड़ लोगों को कोरोना को मात देकर बचाने की जिम्मेदारी है, वो सब काम छोड़ अपनी सरकार बचाने में लग गई है! वहीं जिस भाजपा की केन्द्रीय सरकार पर देश के 138 करोड़ भारतीयों को बचाने की, चीन से निपटने और अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने का भारी भरकम बोझ है,वो गहलोत सरकार को गिराकर मप्र की तर्ज पर अपनी सरकार स्थापित करने के लिए बेकरार है! ऐसे में जय हो इन वर्तमान आधूनिक भारत के भाग्य विधाताओ की जिनके लिए सत्ता ही सर्वोपरी है और सत्ता ही खुदा की सच्ची इबादत है! हालांकि यह सच है कि ‘बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी” आखिर राजस्थान की अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को जाना ही होगा? क्योंकि घोड़ों की खरीद-फरोख्त का खेल गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में सफलता प्राप्त कर चुका है,इसलिये चाणक्य से कोई वाजिब उम्मीद करना बेमानी है!