छह साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म

 

ह साल की निशा (बदला हुआ नाम) के शरीर पर दांत कांटने के निशान हैं. उसकी नाक के अंदर ख़ून जम गया है, दाहिने आंख में चोट के लाल धब्बे साफ दिख रहे हैं और कमर के हिस्से का कपड़ा लगातार ख़ून से भींग रहा है.

 

बिहार के बेगूसराय के सदर अस्पताल में एक बेड पर निशा है, तो उसके ठीक बगल वाली बेड पर उसकी 10 साल की दोस्त कविता (बदला हुआ नाम) भर्ती है.

कविता का पूरा चेहरा सफ़ेद पट्टी से ढंका है. उसके चेहरे पर जगह-जगह चोट के निशान हैं और उसका गाल काट दिया गया है.

गाल इतना गहरा काटा गया है कि अस्पताल में कविता की तीमारदारी में लगी उनकी मां बताती हैं, “गाल ऐसे काटा की उनका दांत तक दिखना शुरू हो गया था. डॉक्टर ने कहा टांके नहीं लगा सकते, घाव अपने आप ही भरेगा.”

सदर अस्पताल की डॉ आशा कुमारी ने बच्चियों का चिकित्सीय परीक्षण किया है. बीबीसी हिंदी से उन्होंने कहा, “छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार के साक्ष्य हैं जबकि दूसरी बच्ची का गाल ऐसे काटा है जैसे किसी कुत्ते ने इंसान को काटा हो.”

वो जगह जहां दोनों बच्चियां झुला झुलने गयीं थीं.क्या है पूरा मामला?

निशा और कविता बिहार के बेगूसराय ज़िले के साहेबपुर कमाल प्रखंड की अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बच्चियां हैं.

उन दोनों के साथ ये घटना अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन दोपहर में घटी. उस दिन होली भी मनाई जा रही थी.

सदर अस्पताल में भर्ती कविता उस दिन की पूरी घटना टुकड़ों-टुकड़ों में बताने की कोशिश करती है, ऐसा करते हुए बीच-बीच में वो खुद सिहर उठती है.

कविता कहती है, “हम लोग गांव के ही सरकारी स्कूल में झूला झूलने गए थे. स्कूल के मैदान में पहले से ही चार लोग थे जिसमें से सोहन कुमार (उर्फ़ छोटू महतो) हम लोगों के पास आया और हमें दबोचने लगा. हम लोग वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो लोग हमें बार-बार पकड़ लेते थे और हमारे चेहरे को दीवार पर रगड़ देते थे. बाद में उसने निशा की पैंट खोल दी और अपनी पैंट भी खोल दी. मैं इस बीच उसको नोंचकर भागी.”

सड़क के ठीक किनारे बने राजकीय कृत मध्य विद्यालय के बालक शौचालय में घटना के निशान अभी भी मौजूद है. शौचालय में होली के मौक़े पर मिली पूड़ियों के टुकड़े और ख़ून के धब्बे दोनों सूख चुके हैं. दोनों बच्चियों की चप्पलें अभी भी वहां मौजूद हैं.

निशा को पहले से ही बात करने में दिक्कत पेश आती थी, इस घटना के बाद से वो बिल्कुल चुप हैं. उसके कपड़ों पर ख़ून के निशान लगातार बन रहे हैं और खाने के लिए दी जाने वाली हर चीज़ को वो अपनी ‘सीमित शक्ति’ से उठाकर फेंक देती है.

उसकी मां बताती हैं, “मेरे सात बच्चों में ये अकेली लड़की है. दिनभर घूमती-टहलती थी. कुछ बनाकर रख दो, तो कूद-कूद कर खा लेती थी. हम लोग मांग कर खाने वाले लोग हैं. उस दिन भी बच्चियों के पास मांगी हुई पूड़ियां थी. हम भी पूड़ी मांग कर वापस लौट रहे थे जब किसी ने बताया कि तुम्हारी बेटी को मारकर फेंक दिया है. उसके बाद मैं उसे डॉ मुस्तफ़ा के यहां ले गई.”

डॉ मुस्तफ़ा उसी गांव के ग्रामीण चिकित्सक हैं जहां निशा और कविता का परिवार रहता है. निशा और कविता के परिवार वाले उन्हें लेकर सबसे पहले डॉ मुस्तफ़ा के पास ही गए थे.

मुस्तफ़ा ने बीबीसी हिंदी को बताया, “मेरे पास ये दोनों बच्चियां बुरी हालत में लाई गईं थीं. जिसका गाल काटा उसका तो दांत तक दिखने लगा था और दूसरी को लगातार ब्लीडिंग हो रही थी. मैंने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी. दस मिनट के भीतर पुलिस आ गई और बच्चियों को अस्पताल ले गई. अगर ऐसा नहीं होता तो निशा ज़िंदा नहीं बच पाती.”

बच्चियों के चप्पलबलात्कार की पुष्टि

बेगूसराय पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार कहते हैं, “इस मामले में परिवार ने चार युवकों सोहन कुमार, बबलू कुमार, हरदेव कुमार, गोविन्द महतो को नामजद अभियुक्त बनाया है जिसमें से सोहन और बबलू की गिरफ़्तारी हो चुकी है.”

वो कहते हैं, “इस मामले में अभी तक जो परीक्षण हुआ है, उसके मुताबिक़ बच्ची का बलात्कार हुआ था, प्रथम दृष्टया ये मामला गैंगरेप का मामला प्रतीत हो रहा है. हमारी कोशिश इस मामले की जल्द जांच कर उसका स्पीडी ट्रायल कराना है.”

पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज इस मामले की जांच में फॉरेंसिंक साइंस टीम को लगाया गया है. साथ ही जल्द से जल्द जांच पूरा करने के लिए एसडीपीओ, बलिया के नेतृत्व में टीम का भी गठन किया गया है.

बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमारअभियुक्तों पर नशीले पदार्थ सप्लाई करने का आरोप

घटना होने के कुछ घंटों के अंदर ही सोहन कुमार उर्फ़ छोटू महतो को गिरफ़्तार कर लिया गया. जिस वक्त छोटू को पकड़ा गया, वो नशे में था. बेगूसराय पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार इसकी पुष्टि करते हैं.

अभियुक्तों के बारे में स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि ये लोग गांव के स्कूल के पास ही शराब और अन्य नशीले पदार्थ की सप्लाई करते रहे हैं.

इस मामले में दूसरी गिरफ़्तारी बबलू कुमार की हुई है, वो पेशे से पत्रकार हैं. बबलू और सोहन आपस में चचेरे भाई हैं.

बबलू कुमार के पिताजी जय जय राम बीबीसी से कहते हैं, “मेरे बेटे ने कोई रेप नहीं किया है. वो तो पत्रकार है और बजरंग दल का सदस्य भी है.”

हालांकि बजरंग दल के साहेबपुर कमाल प्रखंड के संयोजक साजन कुमार इस बात से इनकार करते हुए कहते हैं, “हम बबलू को सिर्फ पत्रकार की हैसियत से जानते थे, उसका बजरंग दल से कोई रिश्ता नहीं है.”

जय जय राम पानी की गुमटी चलाते हैं और गांव में वो ‘महात्मा जी’ के नाम से जाने जाते हैं.

अभियुक्त बबलू कुमार के पिता जय जय रामगांव की खामोशी

सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट का प्रभार संभाल रहे डॉ अखिलेश कुमार बताते हैं, “दोनों बच्चियों की हालत खतरे से बाहर है.”

लेकिन साहेबपुर कमाल के इस गांव में बेचैन करने वाली शांति है. महतो टोले में ख़ासकर, सभी अभियुक्त जहां के रहने वाले हैं, वहां कभी भी लोगों का गुस्सा उबल पड़ता है.

स्थानीय लोग अपनी छोटी बच्चियों को घर से बाहर निकलने देने में भी अब परहेज बरत रहे हैं.

ज़फ़ीर और मोहम्मद एजाज़ के बच्चे उसी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं जहां ये घटना हुई.

वो बीबीसी हिंदी से कहते हैं, “प्रशासन पहले स्कूल में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, उसके बाद ही अपने बच्चों को स्कूल हम भेजेंगे. इन लोगों ने स्कूल जैसे ज्ञान के मंदिर को असामाजिक काम का अड्डा बनाया हुआ है.”

घटना के बाद से ही गांव में लगातार बिहार पुलिस के जवान तैनात हैं. गांव में शांति रहे, इस मकसद से गांव के मुखिया के पति मोहम्मद नसीरूद्दीन की पहल पर 35 सदस्यीय शांति समिति का गठन किया गया है.

शांति समिति के सदस्य विनोद कुमार और सदन कुमार सिंह बताते हैं, “हमारी कोशिश है कि किसी भी तरह गांव का माहौल न बिगड़े, किसी तरह का दंगा होगा तो हम सबका नुक़सान होगा. पुलिस की कार्रवाई से हम लोग संतुष्ट हैं और चाहते हैं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सज़ा मिले.”sabharbbc

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