चुनाव से पहले ही सामने आ गया कांग्रेस और उसके नेताओं का असली चरित्र: अग्रवाल

 

 

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी का शुरू से यह मानना रहा है कि कांग्रेस कोई विचार या सिद्धांत आधारित दल नहीं है, बल्कि यह अपने-अपने स्वार्थों के चलते इकट्ठे हुए नेताओं का गठजोड़ है। इन स्वार्थी नेताओं को न देश-प्रदेश से कोई मतलब है और न ही जनता या समाज से कुछ लेना-देना। इनका पहला और अंतिम लक्ष्य सिर्फ कुर्सी है और इनकी पूरी राजनीति इसी के आसपास घूमती रहती है। ऐसे समय में जबकि प्रदेश कोरोना की आपदा से जूझ रहा है और उपचुनाव की तारीख तक नहीं आई है, कांग्रेस के नेताओं की महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मारने लगी हैं और वे अपनी दावेदारी को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता  रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस नेताओं जयवर्धनसिंह, जीतू पटवारी और नकुलनाथ के पोस्टरों तथा उनके समर्थकों के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस में कुर्सी के लिए मारामारी, छीनाझपटी की संस्कृति पहले से रही है। कमलनाथ सरकार के समय भी नेताओं के बीच वर्चस्व का द्वंद चलता रहा। इन नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के कारण ही कमलनाथ सरकार चल नहीं सकी और आखिरकार धराशायी हो गई। अब सरकार गिरने के बाद तो इन नेताओं की महत्वाकांक्षाएं पूरी तरह निर्वस्त्र होकर जनता के सामने आ रही हैं। कहीं, सामंती परंपरा के अनुरूप दिग्विजयसिंह के बेटे जयवर्धन भावी मुख्यमंत्री होने का दावा कर रहे हैं, तो कहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ अपने पिता के आदेश पर प्रदेश संभालने को आतुर नजर आ रहे हैं। यही नहीं, बल्कि कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी तो यह दंभ भर रहे हैं कि जनता को राजा या व्यापारी नहीं चाहिए, सिर्फ पटवारी चाहिए।  अग्रवाल ने कहा कि उपचुनाव से पहले तीनों युवा नेताओं द्वारा पार्टी को दरकिनार कर अपने-आपको प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति यह बताती है कि कांग्रेस में व्यक्ति ही महत्वपूर्ण होता है, पार्टी नहीं।  अग्रवाल ने कहा कि पूर्व मंत्री पी.सी.शर्मा ने यह बयान देकर कि कलेक्टर या चाहिए या पटवारी, बाद में देखा जाएगा, इन नेताओं की महत्वाकांक्षाओं और खींचतान को ढंकने का प्रयास किया है, जो प्रदेश की जनता को एक बार फिर धोखा देने जैसा आपराधिक कृत्य है।  अग्रवाल ने कहा कि पी.सी.शर्मा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे अपने नेताओं की प्रतिद्वंदिता को ढंकने का काम अपने विवेक से कर रहे हैं या किसी वरिष्ठ नेता के इशारे पर। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की हालत उस नदी में बैठे मगरमच्छों की तरह हो रही है, जिसमें कभी पानी नहीं आना है।

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