घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली…..
प्रकाश भटनागर :
इंदौर में होने जा रहे आईफा-2020 का आउटडोर स्वरूप तो सब के सामने आ ही रहा है। अब इसके इनडोर वाले मायावी पक्ष की चर्चा भी बहुत जरूरी हो गयी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसके जरिये धनपशुओं की विभिन्न प्रजातियों को खुश करने का बंदोबस्त कर दिया है। इनमें आयोजक सहित उनकी पैरवी करने वाली कांग्रेसी एवं सरकारी अफसरान सहज रूप से शामिल हैं। ऐसा करने का महत्वपूर्ण पक्ष है कि नाथ ने राहुल गांधी की नाराजगी को लगभग धता बताते हुए आईफा के तौर पर करोड़ों रुपए फूंकने का पुख्ता बंदोबस्त कर दिया है। वह रुपए, जिनके न होने की दलील देते हुए ही प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने की गांधी की घोषणा को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। नाथ सरकार के एक साल पूरे होने के बावजूद ज्यादातर किसान टुकुर-टुकर उस दिन की राह देख रहे हैं, जब सरकार बनने के दस दिन के भीतर कर्ज माफी की घोषणा से वशीभूत होकर उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया था। दरिद्रता से जूझ रहे प्रदेश में नाथ सरकार का यह आयोजन हास्यास्पद कंट्रास्ट का बोध करता है। इसलिए एक मनोरंजक किस्सा यहां बेशक इस्तेमाल किया जा सकता है
अमीर को शक हुआ कि उसका नौकर रात को उसे दिए जाने वाले दूध में पानी मिलाता है। उसने निगरानी की गरज से दूसरा नौकर रख लिया। दूसरे ने पहले से मिलकर दूध में और पानी डालना शुरू कर दिया। मजबूरन अमीर को इन दो पर नजर रखने के लिए तीसरा नौकर रखना पड़ा। वह महाघाघ था। रात को उसने अमीर के भोजन में नींद की गोली मिला दी। जब वह सो गया तो नौकर ने दूध की जरा-सी मलाई निकालकर उसकी मूंछों पर लगा दी। सुबह अमीर से बोला, उम्मीद है कि आपको पूरी मलाई वाला दूध पसंद आया होगा। आप सो गये थे। लेकिन यह मेरा कर्तव्य था कि आपको पूरी और सही खुराक दी जाए। मेरा मानना है कि कर्ज के मर्ज से मुक्ति पाए बगैर ऐसा भारी-भरकम आयोजन किसी को नींद में धकेलकर उसकी मूंछ पर केवल मलाई लगा देने जैसी चतुराई का पर्याय ही कहा जा सकता है। कांग्रेस के किसी नेता ने मुझे बताया कि राहुल गांधी मुख्यमंत्री कमलनाथ से सख्त नाराज हैं। कारण? यह कि राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से जो वादे किए थे, कमलनाथ सरकार ने उन्हें पूरा नहीं किया।
सबसे बड़ा वादा तो जाहिर है, किसानों के दो लाख रूपए तक के कर्ज माफ करने का था। घोषणा तो कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कर दी थी लेकिन उसे एक साथ पूरा नहीं किया गया। कर्ज माफी अलग-अलग चरणों में हो रही है। जाहिर है किसान जबरदस्त तरीके से कांग्रेस सरकार से नाराज हैं। इसका एक नतीजा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की भारी भरकम अंतर से हुई हार में भी सामने आया ही था। इसलिए राहुल गांधी के दौरे छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो हुए हैं लेकिन मध्यप्रदेश में वे लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के अलावा अब तक नहीं आएं हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किसानों के वादे के मुताबिक कर्ज माफ करने के कदम वहां की राज्य सरकारें उठा चुकी हैं। कहा यह भी जा रहा है कि राहुल गांधी को कांग्रेसाध्यक्ष के तौर पर जल्दी ही रिलांच भी किया जाएगा। और तब शायद मुख्यमंत्री कमलनाथ को कुछ असहज स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रदेश सरकार के काम करने को लेकर ऐसा लगता नहीं कि कांग्रेस में ऊंची राजनीतिक कद काया के राजनेता कमलनाथ को राहुल गांधी कि किसी तरह की कोई फिक्र या चिंता हो। किसान कर्ज माफी का दूसरा दौर शुरू होना है। सरकार के आर्थिक हालात कड़की के हैं। साल भर में कमलनाथ सरकार बाजार से बीस हजार करोड़ का कर्जा उठा चुकी हैं। बावजूद इसके मध्यप्रदेश सरकार भारी भरकम इवेंट आयोजित करने में शिवराज सिंह चौहान के ही नक्शे कदम पर है। प्रदेश के बड़े शहर इंदौर में 19 से 21 मार्च तक इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेदमी अवार्ड (आईफा-2020) का आयोजन किया जा रहा है। इसे विजक्राफ्ट नाम की जो इवेंट कंपनी आयोजित कर रही है, मध्यप्रदेश सरकार उसे इसके प्रायोजक के तौर पर तीस करोड़ रूपए देगी। इस पैसे का इस इवेंट कंपनी को सरकार को कोई हिसाब किताब नहीं देना है। इस समय भी प्रदेश सरकार अमरकंटक और ओरछा में बड़े इवेंट कर रही है। जाहिर है इनमें भी करोड़ों रुपए खर्च हो ही रहे होंगे। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इस महंगे आयोजन के पीछे जो तर्क दे रहे हैं वो बेहद हास्यास्पद हैं।
कहा जा रहा है कि समारोह के दौरान स्किल डेवलपमेंट के तहत साउंउ, लाइट, फिल्म फोटोग्राफी, विजुअल इफेक्ट आदि विद्याओं में प्रदेश की प्रतिभाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। और ये आयोजन प्रदेश में फिल्मों और पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ रोजगार सृजन में भी मिल का पत्थर साबित होगा। सरकार भी जान रही है और प्रदेश के लोग भी। लोकोक्ति है, ‘घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने।’ तो इस फिजूल खर्ची को जायज ठहराने के लिए पर्यटन और रोजगार सृजन की आड़ तो लेना ही पडेंगी। हकीकत यह है कि इस आयोजन का सारा फायदा अगर किसी को होगा तो वो होगा इवेंट कंपनी विजक्राफ्ट को। सरकार के अलावा भी वो कई और व्यवसायिक प्रायोजक शामिल करेगी ही। इंदौर के लोग जो नाच गाना देखने जाएंगे जाहिर है, उन्हें इसका पैसा देना ही है। इस कमाई पर भी हक इवेंट कंपनी का ही होगा। फिल्मी दुनिया की जो हस्तियां यहां आएंगी, वे भी इस कार्यक्रम में शामिल होने का पैसा लेती ही हैं। कुल मिलाकर होगा बस इतना कि इंदौर का जो कार्यक्रम स्थल होगा, उसे दुनिया भर के कई देशों में लोग देख लेंगे। सारा तामझाम इंवेंट कंपनी का होगा ही, इसलिए कुछ मजदूरों को जरूर दो तीन दिन का कामकाज मिल जाएगा। इंदौर की होटलों का कुछ समय के लिए कारोबार बढ़ जाएगा। आईफा फिल्म फेटरनीटी के लोगों का आयोजन है और इससे मध्यप्रदेश के खाते में तीन दिन के मनोरंजन और नाच गाने के अलावा और कुछ हिस्से नहीं आएगा।