घर के लिए दुर्भाग्य बन सकती है ऐसी सीढ़ियां, जानें सीढ़ियों के लिए वास्तु टिप्स

 घर या भवन का निर्माण कराते समय वास्तु शास्त्र के नियमों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। खासकर जब आप घर की सीढ़ियां बनवा रहे हों, तो वास्तु नियमों की अनदेखी करने की भूल ना करें।

वास्तु शास्त्र में घर के छोटे हिस्से से लेकर बड़े हिस्से सभी के नियम और दिशा निर्धारित किए गए हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है। इसी तरह घर की सीढ़ी बनवाते समय भी वास्तु मानदंडों का पालन करें। क्योंकि उचित दिशा या सही तरीके से सीढ़ी नहीं बनवाने से यह घर के दुर्भाग्य का कारण बन सकता है। जानते हैं वास्तु के अनुसार कैसी होनी चाहिए घर की सीढ़ियों का आकार, दिशा और संख्या इत्यादि।

वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसी होनी चाहिए घर की सीढ़ी

वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ी की दिशा
वास्तु के अनुसार, घर की सीढ़ियां हमेशा भूखंड के पश्चिम, नैर्ऋत्य, मध्य दक्षिण, वायव्य दिशा में बनवाना शुभ होता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा सीढ़ी के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। लेकिन भूलकर भी ईशान कोण और घर के ब्रह्मस्थान पर सीढ़ी नहीं बनवानी चाहिए।

सीढ़ियों की संख्या और इन बातों का भी रखें ध्यान
वास्तु के अनुसार, सीढ़ियां बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि, सीढ़ियां उत्तर से दक्षिण की ओर या पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर हो। सीढ़ियों की सथ्या हमेशा विषम होनी चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखें। जैसे 7 ,9 ,11 ,15 ,17 इत्यादि। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए कभी भी घुमावदार सीढ़ी न बनवाएं चाहिए और सीढ़ी के प्रारंभ या अंत में दरवाजा जरूर बनवाएं।

सीढ़ियों के नीचे न बनवाएं से चीजें
सीढ़ी के नीचे खाली बहुत जगह होती है। ऐसे में इस जगह का इस्तेमाल करने के लिए लोग यहां पूजाघर, किचन, बाथरूम, स्टोररूम आदि बनवा लेते हैं जोकि वास्तु शास्त्र में बहुत ही गलत मानी गई है। इससे घर के सुख-सौभाग्य में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए सीढ़ी के नीचे की जगह को खाली रखें और इस बात का भी ध्यान रखें कि यहा गंदगी न हो। आप चाहे तो यहां गमले में तुलसी का पौधा रख सकते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। मध्य उदय इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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