गंगा -जमुना की धार

 

-रमेश रंजन त्रिपाठी:

गंगा और यमुना नदियों के महत्व को बताने की आवश्यकता है क्या? उत्तराखंड के ‘चार धाम’ में बद्रीनाथ जी और केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ दोनों पवित्र सरिताओं के उद्गमस्थल गंगोत्री और यमुनोत्री भी शामिल हैं। हिमालय से निकलने के बाद यमुना आगे चलकर गंगा जी में मिल जाती हैं। उसी स्थान पर सरस्वती नदी भी गंगा जी में मिलती हैं। इन तीन अतिमहत्वपूर्ण नदियों के मिलन स्थल को प्रयागराज कहा जाता है। कालांतर में सरस्वती अदृश्य हो गई हैं।
यह भूमिका भारतीय संस्कृति में गंगा-यमुना के संगम का धार्मिक, सामाजिक हर दृष्टि से बहुत अधिक महत्व होने की याद दिलाने के लिए है। गंगा जी पवित्रता की पराकाष्ठा का प्रतीक हैं। इसी विशेषता का लाभ लेने के लिए बॉलीवुड ने गंगा और यमुना को अनगिनत तरीकों से इस्तेमाल किया है। उदाहरण के लिए राजकपूर ने अपनी एक फिल्म का शीर्षक ही ‘संगम’ रख दिया। यह नाम गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का प्रतीक है जो फिल्म के गाने और क्लाइमैक्स के संवादों से स्पष्ट हो जाता है।
बात निकली है तो राजकपूर की इस बेहद सफल फिल्म के गाने के बोल भी याद आ गए होंगे- मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का, बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं। इस सुरीले गाने की तरह एक और रोमांटिक गीत में गंगा और यमुना की दुहाई दी गई है- तू गंगा की मौज मैं जमना का धारा, हो रहेगा मिलन ये हमारा तुम्हारा। इन दोनों बेहद मधुर गीतों में गंगा और यमुना के मिलने को प्रतीक बनाया गया है। श्रोता दोनों गानों की खूबियों को बखूबी पहचानते हैं। यह गाने खासे लोकप्रिय हुए हैं।
‘जिस देश में गंगा बहती है’ तो शीर्षक ही है राजकपूर की फ़िल्म का। इस फिल्म में कहानी डाकुओं की है जिसे गंगा के साथ जोड़ा गया है। हीरो अपना परिचय उस देश के वासी के रूप में देता है जिस देश में गंगा बहती है। राजकपूर को गंगा से बहुत लगाव था। उन्होंने ‘राम तेरी गंगा मैली’ शीर्षक से भी फिल्म बनाई, जो खूब चली।
दिलीप कुमार भी पीछे नहीं रहे। उनकी एक फिल्म का नाम है ‘गंगा जमना’। संयोग देखिए कि यह कहानी भी डाकू की है। अमिताभ बच्चन ने भी ‘गंगा की सौगंध’ और ‘गंगा जमना सरस्वती’ जैसी फ़िल्मों में काम किया है। ‘गंगा’, ‘गंगा मेरी माँ’, ‘गंगा की लहरें’, ‘गंगा तेरा पानी अमृत’, ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’, ‘गंगा की कसम’ आदि अनेक फ़िल्मों के नाम में गंगा जी को जोड़ा गया। ‘जिस देश में गंगा बहती है’ की तर्ज़ पर नाम रखने के चक्कर में ‘जिस देश में गंगा रहता है’ जैसी औसत फिल्म भी बनाई गई।
अनेक फिल्मी गानों में गंगा जी को शामिल किया गया जो अपेक्षा के अनुरूप लोकप्रिय भी हुए। कुछ गीत बड़े मार्मिक बन पड़े हैं, जैसे ‘गंगा आए कहाँ से, गंगा जाए कहाँ रे’ या ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते धोते’। ‘हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें’ या ‘गंगा तेरा पानी अमृत’ गाने भी लोगों को पसंद आए। ‘गंगा मेरी माँ का नाम बाप का नाम हिमाला’ गाना भी बना और आलोचना का शिकार हुआ।
गंगा जी भारतीय जनमानस में इस तरह रची बसी हैं कि हर क्षेत्र के लोग उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं। सच्चे मन से याद करने वालों को गंगा मैया की कृपा प्राप्त भी होती है।

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