क्या भाजपा के लिए चुनावी मजबूरी बनती जा रही है ओल्ड पेंशन स्कीम?

हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारों की ओर से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली, उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत देश के अलग-अलग राज्यों से ओल्ड पेंशन स्कीम की लगातार उठ रही मांग के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम की समीक्षा के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई है, इसके परिणाम क्या होंगे?
कमेटी क्या रिपोर्ट देगी? कब तक देगी? इसका फिलहाल तो पता नहीं लेकिन सरकार की इस घोषणा के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. कुछ जानकार इसे सिर्फ छलावा बता रहे हैं तो कुछ मानकर चल रहे हैं कि केंद्र सरकार कर्मचारियों के हित में कुछ न कुछ नया करेगी.

क्योंकि ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग लगातार बनी हुई है. क्या केंद्र सरकार पर बढ़ा दवाब? कर्मचारियों का विरोध लगातार चल रहा है. बताया यह भी जा रहा है कि सरकार अब दबाव महसूस करने लगी है.

हिमाचल प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस की वापसी में ओल्ड पेंशन स्कीम का बड़ा योगदान माना और बताया जा रहा है. साल 2022 के यूपी विधान सभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम का असर बैलेट वोट पर देखा गया था. इस चुनाव में पोस्टल बैलट में कुल 4.42 लाख वोट पड़े थे. इसमें 51.5 % वोट सपा गठबंधन, 33.3 % वोट भाजपा गठबंधन और 11.1 % वोट बसपा को मिले थे. चुनाव से पूर्व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा कर रखी थी.

माना गया था कि बैलेट वोट में सपा की विजय के पीछे ओल्ड पेंशन स्कीम वापसी की घोषणा मुख्य कारण रही. राजस्थान चुनाव में दिखेगा असर? गुजरात चुनाव में भी ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी की धमक महसूस की गई थी. राज्य कर्मचारी तब भी एनपीएस के विरोध में थे और अब भी वे विरोध कर रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात के अफसर बहुत जल्दी पड़ोसी राज्य राजस्थान का दौरा करने वाले हैं. वे यह पता करना चाहते हैं कि सरकार इसे कैसे लागू कर रही है. खबरें यह भी आ रही हैं कि भाजपा के पदाधिकारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम के बारे में शीर्ष नेतृत्व को लगातार फीडबैक दे रहे हैं. जिस तरह से कर्मचारियों का विरोध सामने आ रहा है, आशंका यह जताई जा रही है कि इसका नकारात्मक असर किसी न किसी रूप में अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है और पार्टी ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती.

ओपीएस के बारे में क्या सोचती है भाजपा? कर्नाटक के बाद जिन तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल चुनाव तय हैं, उनमें एमपी को छोड़ दो राज्यों की सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा कर रखी है. रही-सही कसर राजस्थान ने राइट टू हेल्थ लागू करके पूरी कर दी है. इस स्कीम को राजस्थान के आमजन हाथों-हाथ ले रहे हैं.

भाजपा हर हाल में राजस्थान, छत्तीसगढ़ जीतने की योजना पर काम कर रही है. एमपी में वापसी को लेकर भी वह आश्वस्त नहीं है क्योंकि आसपास के दोनों राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर रखी है. आशंका इस बात की है कि कहीं हिमाचल प्रदेश की कहानी यहां न दोहरा दी जाए. भारतीय जनता पार्टी और उसके पदाधिकारी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते.

क्योंकि अगले ही साल लोक सभा चुनाव भी है. इन चुनावों में किसी भी तरह की गड़बड़ी का मतलब लोक सभा चुनावों पर असर पड़ सकता है. इन हालात में कोई बड़ी बात नहीं कि केंद्र सरकार की यह कमेटी इन तीनों राज्यों के चुनाव के पहले कोई ऐसी सिफारिश कर दे जिसमें ओल्ड पेंशन स्कीम का नाम न लिया जाए लेकिन किसी और रूप में उसे लागू कर दे. ओल्ड पेंशन स्कीम का नाम लेने से बचने के पीछे एक कारण यह भी है कि केंद्र सरकार लगातार इसका विरोध करती रही है.

हालांकि, जानकार यह कहने से नहीं चूकते कि इसी सरकार ने किसानों के लिए बने कानून लंबे विरोध की वजह से शांति से वापस ले लिए थे. क्योंकि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान इस समय भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. अगर ये तीनों राज्य जीत जाते हैं तो कांग्रेस की सरकार केवल हिमाचल प्रदेश में बचेगी. कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा जल्दी से जल्दी अपने इस नारे को साकार करना चाहती है.

मौका नहीं चूकना चाहेगी भाजपा! यह मौका चूकने का मतलब यह होगा कि भाजपा को लंबा इंतजार करना पड़ेगा. क्योंकि इन तीनों ही राज्यों में चुनाव के समय फिलवक्त कांग्रेस-भाजपा ही आमने-सामने रहने वाले हैं. यहां क्षेत्रीय या किसी और राष्ट्रीय दल का प्रभाव नहीं के बराबर है.

उधर, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय कहते हैं कि सरकार की ओर से गठित यह कमेटी कर्मचारियों के साथ छलावा है. हमें केवल पुरानी पेंशन मंजूर है. जब तक नहीं मिलेगी, यूपी समेत देश के अन्य हिस्सों के राज्य कर्मचारी आंदोलन जारी रखेंगे. वे कहते हैं कि कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम का नाम भी नहीं पसंद है. सरकार को जो मर्जी हो, उसमें संशोधन करे. हमें तो केवल और केवल पुरानी पेंशन ही चाहिए.

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