कोरोना का नया लक्षण ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’, पहुंचा सकता है ICU, जानें लक्षण

 

 

हैप्पी हाइपेक्सिया, इसके नाम के आगे हैप्पी जुड़ा है तो लगता है अच्छा ही होगा. पर हम आपको बता दें की ये सिर्फ नाम के लिए हैप्पी है. ये शब्द कोरोना महामारी से जुड़ा हुआ है जो इंसान के लिए घातक साबित हो रहा है. कोरोना का एक नया लक्षण सामने आया है, जिसे हैप्पी हाइपेक्सिया का नाम दिया गया है.

हैप्पी हाइपेक्सिया चोरी-चोरी करता है अपना काम

कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी नई समस्या बनकर सामने आ रही है. ये कोरोना का एक ऐसा लक्षण है कि जिसमें न सांस फूलती है और न थकान महसूस होगी. लेकिन हैप्पी हाइपेक्सिया चोरी-चोरी अपना काम करता है. और तो और मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की घंटी भी नहीं बजेगी.

कोविड अस्पतालों में इससे पीड़ित कई मरीज सामने आए हैं. इन मरीजों में कोई लक्षण नहीं था, फिर एकाएक Oxygen लेवल घटता चला गया. इलाज के दौरान इस बीमारी से पीड़ित कई मरीजों की मौत हो गई. इस स्थिति में मरीज कोई पता नहीं चलता, लेकिन उसका फेफड़ा 70 प्रतिशत खराब होने के बाद अचानक ऑक्सिजन सैचुरेशन गिर रहा है. ऐसे में युवाओं को ज्यादा गंभीर होने की जररूत है क्योंकि वह लक्षण को सीरियस नहीं लेते.

क्या है हैप्पी हाईपेक्सिया
हैप्पी हाईपेक्सिया कोरोना का नया लक्षण है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना मरीजों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखता है. मरीज अपने आप को ठीक ही महसूस करता है, लेकिन अचानक Oxygen लेवल गिरने से स्थित गंभीर हो जाती है. और मरीज को सीधे ICU में भर्ती कराने की जरूरत पड़ जाती है. समस्या गंभीर होने की वजह से मौत का खतरा बढ़ जाता है. हाइपोक्सिया किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंग काम को प्रभावित करता है.

बचाव के लिए जरूरी उपाय

  • संक्रमित व्यक्ति की लगातार मॉनिटरिंग होनी जरूरी
  • पल्स आक्सीमीटर से oxygen स्तर की जांच करते रहें
  • समय पर दवाएं लेते रहें
  • ऑक्सिजन सैचुरेशन 94% से कम आता है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं.
  • शरीर में बदलाव को अनदेखा न करें

हाइपोक्सिया के लक्षण?
हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण 6 से 9 दिन के बीच आते हैं. होठों का रंग बदलता है, त्वचा लाल, बैंगनी रंग लेती है. बिना कारण लगातार पसीना आता है और ऑक्सीमीटर में कम लेवल दिखता है.

ऐसे में जरूरी है कि हर संक्रमित व्यक्ति गाइडलाइन का पालन कड़ाई से करे. कोरोना में आए दिन नए लक्षण आ रहे हैं. नए लक्षणों को जानना बेहद जरूरी है. अलग-अलग स्तर की भी पहचान जरूरी है. अपने डॉक्टर के लगातार संपर्क में रहें.

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