कोरोना काल में कृषि ने संभाली भारतीय अर्थव्यवस्था: डॉ. मनमोहन वैद्य

– चीन की विस्तारवादी नीति से उसके अपने यहां ही परिवर्तन होंगे
नागपुर, 19 अगस्त । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि कोरोना विभीषिका के संकट काल में किसान और कृषि ने भारतीय अर्थव्यवस्था को संबल देने का काम किया है।
ऐक ऑनलाइन साक्षात्कार में डॉ. वैद्य ने बताया कि, 1947 में हमें स्वराज मिला लेकिन हम सही मायनों में स्वतंत्र नही हुए थे। कोरोना महामारी के चलते भारत को अपने ‘स्व’ की पहचान हुई है। देश को आजादी मिलने के बाद भी हमारी रक्षा, विदेश, शिक्षा और अर्थ नीति पर पश्चिमी देशों का प्रभाव बना रहा । इन नीतियों का निर्धारण करने वाले जो लोग खुद को उदार, बुद्धिजीवी और सेक्युलर कहलाते थे, असल में वह वैसे थे नहीं। देश में 2014 के बाद बडे़ नीतिगत बदलाव दिखाई दिए। अब 2020 में कोरोना के चलते एक बार लगा कि हमारी अर्थव्यस्था का पहिया रुक-सा गया है। पर ग्राम, किसान और कृषि ने इस पहिये को संबल देने का काम किया है।
संघ विचारक डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि कोरोना महामारी में शहरों में स्थिापित फैक्ट्रियां बंद हुई। नतीजतन वहां काम करने वाले मजदूर गांवों की ओर लौटने लगे। कोरोना के चलते देश में ‘रिव्हर्स माइग्रेशन’ का दौर चल पड़ा। इस परिवर्तन को देखते हुए हमें नई नीतियां बनानी होंगी। हमें ध्यान देना होगा कि किस तरह से गांव और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में तहसील स्तर पर कोल्ड स्टोरेज, फूड स्टोरेज, वेयर हाऊसेस और फूड प्रोसेसिंग की संरचना स्थापित करनी होगी । इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।  शहरों का भार खत्म कर के हमें गांव मजबूत करने होंगे। संघ के सह सरकार्यवाह इस दिशा में उठाए गए कदमों और नई कृति नीति के लिए केन्द्र सरकार सराहना की।
कोरोना महामारी की वजह से हुए सकारात्मक परिवर्तनों पर रोशनी डालते हुए वैद्य ने कहा कि भारतीय परिवार व्यवस्था के लिए लॉकडाउन फायदेमंद साबित हुआ है। इस दौरान परिवार के सदस्य एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आए हैं। बाहर का जंक फूड खाना बंद हुआ और लोग घर में बना बेहतर भोजन करने लगे। केवल परिवार ही नहीं समाज भी एक-दूसरे के अधिक करीब आता दिखाई दे रहा है। इस दौरान संघ के स्वयंसेवकों ने भी अपनी भूमिका बेहतर तरीके से निभाई।
आत्मनिर्भर भारत पर अपने विचार रखते हुए वैद्य ने बताया कि आत्मनिर्भर शब्द आत्म और निर्भर ऐसे दो शब्दों से बना है। यही हम आत्म याने खुद को समझें तो हमे किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। हमारे अंदर का विश्वास हमें नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। इस अवसर पर वैद्य ने नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि, हमारी शिक्षा नीति नई है लेकिन तंत्र वही पुराना है। यही हम शिक्षा तंत्र में बदलाव करें तो अगले 15 वर्षो में हमारी एक नई पीढ़ी नये शिक्षातंत्र में पढ कर अपने पैरों पर खड़ी होगी। वैद्य ने विश्वास जताया कि शिक्षा में परिवर्तन के चलते राष्ट्रीय जागरण होगा। निकट भविष्य में पूरी दुनिया नये भारत का अनुभव करेगी।
चीन से चल रही तनातनी पर मनमोहन वैद्य ने कहा कि चीन कि विस्तारवादी नीतियों से पूरी दुनिया परिचित है। भारत में विकास समाज केन्द्रित होता है वहीं चीन में विकास सत्ता केन्द्रित है। वैद्य ने विश्वास जताया कि निकट भविष्य में चीन में कई सामाजिक परिवर्तन दिखाई देंगे। राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर अपने विचार रखते हुए वैद्य ने बताया कि, अयोध्या में बनने वाला मंदिर केवल मंदिर नहीं है। यह मंदिर भारत की प्राचिन जीवन दृष्टी और दर्शन का प्रतीक है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का विषय हिन्दू और मुसलमानों का नहीं है बल्कि बाहरी आक्रांताओं ने हमारी सभ्यता पर आघात करने के लिए मंदिर तोडा था। अब इतने वर्षों के बाद हमने उस सांस्कृतिक वर्चस्व के प्रतीक की आधारशीला रखकर अपनी जड़ो को जोड़ने का प्रयास किया है।
वैद्य ने आवाहन किया कि अयोध्या में बनने वाले मंदिर को मुस्लिम समाज कतई अपने खिलाफ ना समझे । अयोध्या का मंदिर हम सभी के लिए सामूहिक धरोहर होगा।
Shares