कोन बनेगा मुरैना के मुकद्दर का सिंकदर?

 

श्रीगोपाल गुप्ता:

अभी हाल ही में चुनाव प्रचार करते हुये कांग्रेस प्रत्याशी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश सिंह गुर्जर और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राकेश सिंह के पिताजी व पूर्व प्रदेश कैबीनेट मंत्री रुस्तम सिंह का एक वीडियो बहुत तेजी के साथ वायरल हुआ! उस वीडियो में कांग्रेस युवा प्रत्याशी दिनेश सिंह गुर्जर पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के चरण स्पर्स कर रहे हैं और बड़ी आत्मीयता के साथ रुस्तम सिंह दिनेश को आशीर्वाद देते हुये दिखाई दे रहे हैं! उन दोंनों के बीच जिस आत्मीयता के सिथ वार्तालाप हुआ वो काफी चर्चा में है! हालांकि इसे विभिन्न दलों ने राजनीतिक मुद्दा बनाने का असफल प्रयास किया! मगर मतदाताओं में आज के इस दौर में राजनीतिक व नैतिकता के गिरते स्तर के बीच यह मुलाकात राहत का विषय है क्योंकि चंबल में अभी भी राजनीतिकों में प्रतिद्वंदियों के लिये सम्मान की भावना मौजूद है! जो मतदाता रुस्तम सिंह और दिनेश सिंह से जरा भी परिचित हैं , तो वे जानते हैं कि दोंनो के पारवारीक संस्कार व सह्दयता में कोई कमी नहीं है! जिसका उत्कृष्ट उदाहरण उक्त वायरल वीडियो है! भाजपा से बगावत कर पहली मर्तबा विधायक का चुनाव बसपा से लड़ रहे राकेश रुस्तम सिंह भी संस्कारी होकर एक अच्छे सफल व्यक्तित्व के धनी है!दिनेश सिंह गुर्जर भी ऐसे परिवारीक सरोकारों से परिपूर्ण हैं जो अपनों को तो छोड़िये विरोधियों का भी आत्मीयता से सम्मान कर अपना बनाने की कला में परिपूर्ण हैं और यही कारण है कि विरोधी दिनेश सिंह को भी भरपूर सम्मान से नवाजते हैं!

सही मायनों में देखा जाये तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रघुराज सिंह कंषाना भी व्योहारिता की कसौटी पर खरे उतरते हैं! जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में सन् 2018 का चुनाव में उनको मिली जीत है! अब ऐसे में जहां तीनों ही प्रमुख पार्टी भाजपा,बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी युवा होने के साथ-साथ अपनी सादगी और शुचिता के लिये चंबल में विख्यात हैं!अब लाख टके का सवाल है कि 2023 में चंबल संभाग मुरैना के विधानसभा चुनाव में जीत किसको मिलेगी? और किस के सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा? यह इस बात पर निर्भर करेता कि इनमें से कोन मुरैना विधानसभा के मतदाताओं के दिल और दिमाग में सबसे बड़ा व्यवहारी और सह्रदयिता साबित करता है? इसमें कोई शक नहीं है कि मुरैना में विकास के मामले में रुस्तम सिंह एक सफल विधायक रहे हैं! जिन्हें 2003 से लेकर 2018 तक दो मर्तबा भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मुरैना विधानसभा का नेतृत्व करने का मौका मिला और दोंनो दफा वे भाजपा सरकार में काबीना मंत्री बने! पिता के द्वारा कराये गये विकास का भरपूर लाभ पुत्र राकेश रुस्तम की पहचान साबित हो रहा है!चूकि रघुराज कंषाना को मात्र सन् 2018 में सिर्फ 15 महिने का ही कार्यकाल मिला! क्योंकि 2020 में उन्होने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने पर कांग्रेस से इस्तिफा देकर भाजपा में चले गये थे!मगर उनके इस्तिफे से रिक्त हुई मुरैना विधानसभा के उप चुनाव उनको कांग्रेस के राकेश मावई के हाथों हार का सामना करना पड़ा था !
इधर अपने काम की दम पर भाजपा छोड़ आम आदमी के टिकट पर नगर निगम के पार्षद व ऐमआईसी सदस्य बने रमेश उपाध्याय भी अपने काम और व्यवहार के कारण चुनाव को प्रभावित करने का भारी प्रयास कर रहे हैं! अब ऐसे में ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि जनता के बीच मुरैना के मुकद्दर का कोन बनेगा सिंकदर?

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