* दिनेश निगम ‘त्यागी’:
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की लाटरी खुल सकती है। पश्चिम बंगाल में मेहनत के ईनाम के तौर पर उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में मप्र से दो मंत्री शामिल हो सकते हैं। इनमें एक ज्योतिरादित्य सिंधिया लगभग पहले से तय है। दूसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का हो सकता है। केंद्र में मंत्री रहने के लिए किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है, इसलिए रिक्त खंडवा लोकसभा सीट से उन्हें पार्टी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। खंडवा सीट सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद से खाली है।
बंगाल चुनाव बाद थी कद बढ़ने की चर्चा
– इस बात के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे कि यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कैलाश विजयवर्गीय का कद बढ़ाया जा सकता है। वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी हैं। फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार निकट भविष्य में संभावित है, इस कारण केंद्रीय मंत्री बनाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने की योजना है। प्रदेश के शिवराज मंत्रिमंडल से हटने के बाद से ही वे केंद्र में भाजपा संगठन का दायित्व निभा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में हालांकि भाजपा को वैसी सफलता नहीं मिली, जैसे दावे किए जा रहे थे लेकिन विधानसभा में वह वामपंथियों और कांग्रेस को पीछे छोड़कर आगे निकल गई और मुख्य विपक्षी दल बन गई। इसका काफी कुछ श्रेय विजयवर्गीय को दिया जा रहा है।
खंडवा में भाजपा के कई दावेदार
– कैलाश विजयवर्गीय खंडवा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, यह चर्चा काफी समय से है। लेकिन इससे पहले वे केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं, इसकी संभावना कम थी। भाजपा के अंदर से यह खबर अभी दो दिन के अंदर बाहर आई। खंडवा सीट से भाजपा में दावेदारों की कमी नहीं है। पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस पिछले कुछ समय से इस कदर सक्रिय हैैं, जैसे नेतृत्व की ओर से उन्हें हरी झंडी मिल गई हो। वे पश्चिम बंगाल प्रचार अभियान में हिस्सा लेने भी गर्इं। वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे एवं पूर्व सांसद स्वर्गीय नंदकुमार सिंह के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान का नाम भी दावेदारों में है। भाजपा खंडवा में अपनी जीत तय मान कर चल रही है फिर भी वह कोई चूक नहीं करना चाहती। इसलिए केंद्र में मंत्री बनाकर विजयवर्गीय को उप चुनाव लड़ाने की तैयारी है।
कांग्रेस से अरुण के नाम की ही चर्चा
– खंडवा में कांग्रेस की ओर से दावेदार के रूप में सिर्फ एक नेता का नाम है, वे हैं अरुण यादव। खास बात यह है कि अरुण यहां से दो चुनाव लगातार हार चुके हैं बावजूद इसके इस बार भी वे ही दौड़ में दिखाई पड़ रहे हैं। कांग्रेस की ओर से और किसी नाम की चर्चा सामने नहीं आई। इसकी वजह यह भी है कि अरुण यादव केंद्रीय मंत्री और इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। खंडवा चुनाव लड़ने के कारण उनके पास पूरे क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की टीम है। हालांकि खबर है कि निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भैया यहां से अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं।