केन्द्र सरकार का नये इनकम टैक्स पोर्टल पर किया गया 4242 करोड़ रुपये का अनावश्यक खर्च, वो भी इस कठिन समय में

 

 

पिछले 14 सालों से जिस इनकम टैक्स पोर्टल पर काम करते करते सारे हितधारक इसे सहज महसूस करने लगे थे, और यदि बदलाव की कुछ जरूरत थी तो इसी पोर्टल को अपडेट किया जा सकता था या इसमें और नए फीचर्स लाए जा सकते थे और वो भी मात्र कुछ करोड़ रुपये खर्च कर.

कोरोना काल में पैसे की जरूरत स्वास्थ्य संरचना के विकास और वेक्सीन खरीद के उपयोग में आती, लेकिन लगभग 4200 करोड़ रुपये का खर्च नए इनकम टैक्स पोर्टल बनाने पर इन्फोसिस कंपनी को देना गैर जरूरी और अनावश्यक कदम है.

हम जब ये बात जानते थे कि इन्फोसिस कंपनी द्वारा बनाया गया जीएसटी पोर्टल करीब 1380 करोड़ रुपये में, पांच साल बाद भी सुचारू ढंग से काम नहीं कर रहा और ऐसे में एक सहज, सुलभ आयकर पोर्टल को बंद कर नए पर खर्च न केवल अव्यवस्था को जन्म देगा बल्कि सरकारी राजस्व में चोट और अनुपालन की कमी की वजह भी बनेगा और उसके ये मुख्य कारण है:

1. पिछले 14 सालों में सारे सलाहकार, सीए, करदाता और उनके स्टाफ सहित आयकर विभाग एवं अन्य हितधारक सहज रूप से पोर्टल में प्रशिक्षित हो गए थे और अब नए पोर्टल की बारीकियों से परिचित होने में अगले दो साल खराब होंगे.

2. नए पोर्टल में परेशानियां आना और उसके परिपूर्ण होने में समय लगना स्वाभाविक है और इस कठिन समय में जब चीजों को आसान करना लक्ष्य होना चाहिए तो पोर्टल को इस समय लाना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता.

3. सिस्टम की आवश्यकता में बदलाव होगा और सभी हितधारकों को अपने आफिस कम्प्यूटर सिस्टम और साफ्टवेयर अपडेट करने और बदलाव पर खर्च करना होगा एवं कर्मचारियों/ स्टाफ की ट्रेनिंग करानी होगी जो कि एक गैर जरुरती होगा.

4. सबसे बड़ी बात इस कठिन समय में हर पल को उपयोग करना होगा तभी हम विकास की दौड़ में शामिल होंगे, लेकिन शायद सरकार यह चाहती ही नहीं है, इसलिए 7 जून से अब तक न जाने हितधारकों के कई घंटे खराब हो गए और न जाने कब तक होते रहेंगे.

5. आखिर सरकार को इस समय क्या जरूरत थी, क्यों 4200 करोड़ रुपये खर्च किए गए- एक तरफ तो सरकार आत्मनिर्भरता की बात कर रही है और जहाँ जनता किसी क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने लगती तो उन्हें फिर निर्भर कर दिया जाता है और संघर्ष भरे जीवन की ओर धकेल दिया जाता है.

*समय और पैसे की बर्बादी वो भी गैर जरूरी और अनावश्यक नीतियों की वजह से और खासकर कोरोना काल में आयकर पोर्टल में बदलाव करना संदेह पैदा करता है कि कहीं ये जनता क पैसे का दुरूपयोग तो नहीं और कहीं किसी कंपनी या ग्रुप पर सरकारी कृपा तो नहीं!*

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर (इस लेख में लेखक के स्वयं के विचार है इस लेख के लिए लेखक जिम्मेदार है,  मध्य उदय इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है)

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