कृषि कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं : किसान संगठन

NEW DELHI, DEC 1 (UNI):- Farmers blocking National Highway at Delhi Haryana Singhu border during their Delhi Chalo protest against farm laws on Tuesday.UNI PHOTO-AK13U

 

 

नई दिल्ली, 24 दिसम्बर । केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज गुरुवार को 29वां दिन है। ऐसे में किसान संगठनों ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर स्पष्ट किया है कि उन्हें कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से आज एक वेबिनार आयोजित किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हो रहे हैं। इस दौरान किसान संगठनों ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि बात सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की नहीं है बल्कि पूरे कानून में खामियां हैं। कानून लागू होने से खेती का पूरा सिस्टम बदल जाएगा और किसानों को नुकसान होगा। हमारी मांग पूरी तरह से स्पष्ट है कि कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी किसानों को मंजूर नहीं है।

किसान नेताओं ने कहा कि दो साल पहले भी सरकार की मंशा पर शक हुआ था लेकिन कोरोना काल में सरकार नया कानून ले आई। अब साफ है कि यह कानून खेती-किसानी को बर्बाद करने वाला है। इसीलिए देशभर में किसान इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इसकी अगुवाई पंजाब कर रहा है। उन्होंन कहा कि हमारा आंदोलन पूरी तरह शान्तिपूर्ण है, इसमें किसी को भी हिंसा नहीं करने दी जाएगी। आंदोलन के दौरान स्थिति नियंत्रण में रखने के लिए 500 ग्रुप बने हुए हैं, जिनकी हर रोज बैठक भी होती है।

नरेन्द्र मोदी नीत केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए किसान मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि सरकार ने सभी सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में दे दिया है और अब कृषि के साथ भी यही किया जा रहा है। हम किसी संशोधन नहीं बल्कि कानून वापसी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन काले कानूनों के खिलाफ हम अलग-अलग भाषाओं में पम्फ्लेट भी निकाल रहे हैं और लोगों को आंदोलन के बारे में बता रहे हैं। हमारी इस कोशिश में डिजिटल टीम भी मोर्चा संभाले हुए हैं। हम अब सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों का समर्थन जुटाने में लगे हैं।