कहीं गांधी परिवार का अस्तित्व राजनीति से ही खत्म न हो जाए

कहीं गांधी परिवार का अस्तित्व राजनीति से ही खत्म न हो जाए

, शर्म की बात है 70 में से 67 सीटों पर जमानत जब्त हो गई

 

दिल्ली चुनाव में नंबर के लिहाज से कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करें तो वो न नफा, न नुकसान वाली स्थिति में है. 2015 में उसका सफर जहां रुका था, अब भी कांग्रेस उसी नंबर पर है. उसके 70 में से 67 प्रत्याशी जमानत जब्त करवा बैठे। लगातार तीन चुनावों में जनता ने उसकी किस्मत में जीरो ही लिखा है. हालांकि, ये जरूर कहा जा रहा है कि कांग्रेस के अच्छे चुनाव प्रचार की वजह से आम आदमी पार्टी को नुकसान जरूर हुआ है. इस तरह कांग्रेस ने अपने नेतृत्व वाले इंडिया गंठबंधन की वैल्यू जरूर बता दी है. जहां एक तरफ राहुल गांधी को उनकी पार्टी “कांग्रेस” देश का भावी प्रधानमंत्री कह रही है, को खुद पता नहीं चल रहा है कि हो क्या रहा है। सही है राहुल गांधी को राजनीति के स्कूल में प्राइमरी कक्षा में दोबारा से दाखिला लेना होगा। भारतीय राजनीति का एक ऐसा परिवार जिसने तीन तीन लोगों को देश के प्रधानमंत्री दिए हैं उस परिवार का यह “लाडला” गांधी परिवार को ही डूबो रहा है। उनके आसपास के कुछ लोग उन्हें आगे बढ़ते देखना चाहते। हर चुनाव में या पहले वे प्रचार में जान तो लगाते हैं , लेकिन होता कुछ नहीं। मां सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता , बहन प्रियंका गांधी कुछ दायरे तक कोशिश तो करती है लेकिन देश व्यापी अभियान उसके बस की बात नहीं रही। दिल्ली में करारी हार से राहुल गांधी खुद सकते में हैं। लोगों ने तो उन्हें महाकुंभ में डुबकी लगाते हुए भी नहीं देखा। अगर उन्हें अपनी पार्टी का “सिकंदर” बनना है, तो अपने आसपास के लामलश्कर को संभालना होगा▪️

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