एक नजर आपकी हमारी कलम पर

 

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही ।आखिर सत्य की जीत हुई,पार्षद द्वय के विवाद में एक अवयस्क के साथ किया गया अमानवीय व्यवहार एक पार्षद को अति भारी पड़ गया,नाम पद सभी से हाथ धोना पड़ा ।

घटना के दो दिन तक मुह में दही जमाएं बैठे शहर के माननीयों को भी आखिरकार बोलना ही पड़ा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है ।

इस घटना को उजागर करने और पीड़ित को न्याय दिलवाने में मीडिया और सोशल मीडिया का हाथ रहा है,जो निश्चित ही साधुवाद के पात्र है,उनके सार्थक प्रयासों से ही बात पार्टी के आलाकमान और शिखर पुरषो तक पोहच पाई,वरना स्थानीय नेताओं ने लीपापोती का भरपूर प्रयास किया सत्ता और धनबल के नशे में चूर पार्षद इतना अहंकारी हो गया था कि उसे अपना नाम अपने ही पार्षद साथी के द्वारा अनादर के साथ लेना इतना नागवार गुजरा की उसने अपने पाले हुए गुंडों को खुली छूट दे दी जो करना है करो।

चाय से केतली गर्म की तर्ज पर पालतू झुंड बना कर बच्चे व महिलाओं पर इस कदर टूट पड़े की ,,सरदार खुश होगा शाबासी देगा ,,

परंतु शहर की जागरूक मीडिया और नागरिकों ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया । शाबासी तो नही मिल पाई अब बैठे है जेल में चक्की पिसते और कर रहे है, अपने अन्य साथियों और सरदार का भीतर आने का इंतज़ार ।

इस प्रकरण से नेताओं ने भी सिख लेना चाहिए कि राजनीति में भद्र व्यक्तियों को ही प्रवेश दिलवाना चाहिए दूसरे अपने पठठो पर नियंत्रण रखना चाहिए कहि ऐसा न हो उनका उत्साह आपका कैरियर तबाह कर दे ।

ये साबित हो गया है ये शहर मुर्दा नही है।यहाँ की शानदार जनता और मीडिया की जागरूकता ने बता दिया है कि हम जिंदा है।

दिल्ली दरबार ने भी रिपोर्ट तलब की है।

*दिल्ली के चुनाव को देखते वे भी कठोर निर्णय दोषी पार्षद के विरुद्ध लेने के लिए भोपाल को कहेंगे ।*

इस तरह की गुंडई राजनीति करने वाले इस प्रकरण से सबक लेंगे और मर्यादा में रहेंगे वरना इंदौर की जागरूक जनता व मीडिया उन्हें भी दुरस्त करने में देर नही करेगी ।

स्वच्छ शहर में स्वच्छ राजनीति होना ही चाहिए वरना,साफ सफाई करना इंदौरी यो ने अच्छे से सिख लिया है ।

स्वच्छ शहर स्वच्छ राजनीति

जय हिंद जय भारत

*अमित सिंह परिहार*
पत्रकार
इन्दौर भोपाल

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