एक तरफ सरकार छोटे से छोटे दुकानदार को जीएसटी दायरे में लाना चाहती है तो दूसरी तरफ फर्जी केवायसी पर होते जीएसटी रजिस्ट्रेशन

सरकार व्यापार को आसान बनाने की कोशिश में पैन या आधार को एकमात्र केवायसी प्रूफ बनाना चाहती है जो हर जगह भारतवर्ष में काम करें.

दूसरा सरकार हर मोहल्ले, नुक्कड़, आदि की सभी छोटी बड़ी परचूरन पान की दुकानों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है ताकि जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी की संख्या जो आज १.४० करोड़ है, वह बढ़कर ३ करोड़ हो जाए. इसका मकसद सभी लेनदेन को रिकॉर्ड पर लाया जाए जिससे टैक्स का दायरा बढ़े.

*सरकार की सोच अच्छी हो सकती है लेकिन हमारे देश में जो प्रमुख समस्या है:*

१. डिजिटल लेनदेन से आम जनता की अभी भी दूरी है और वह कैश में लेनदेन करने को तरहीज देता है. इसका मुख्य कारण इंटरनेट की अनुपलब्धता, बिजली की कमी, मोबाइल कनेक्टिविटी प्राब्लम और डिजिटल लेनदेन फेलियर की दिक्कतें हैं.

२. डिजिटल फ्राड देश में व्यापक स्तर पर फैल रहा है और इस कारण लोगों को भारी नुक़सान से गुजरना पड़ता है. झुठे और भ्रामक प्रचार प्रसार के माध्यम से, एप से, मैसेज से, वेबसाइट से, आदि से जमकर ठगी हो रही है और इसलिए एक केवायसी रखना या एक लेयर की सुरक्षा रखना परेशानी पैदा कर सकता है.

३. सबसे बड़ी बात देश में फैलता फर्जी केवायसी का खेल जिसकी मदद से फर्जी फर्म बनती है और मनी लांड्रिंग में व्यापक स्तर पर लेनदेन हो रहा है.

अभी हाल में ही गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में पिछले ८ महीनों में करीब १७०० आधार कार्ड बनें जिसका उपयोग कर पूरे देश में करीब २५०० जीएसटी रजिस्ट्रेशन एवं फर्में बनाई गई और हुआ हजारों करोड़ रुपए का फर्जी बिलों का खेल.

इस लेनदेन में आधार बनाने वाले सेंटर, एजेंट, जीएसटी अधिकारी, व्यापारी और उनके सलाहकार सभी सम्मिलित पाए गए और इन्हीं सब कारणों से सरकार का विश्वास व्यापारी और जनता से हटता है.

*देश में इतने बड़े स्तर पर फैलता फर्जीवाड़ा सरकारी नीति निर्धारण पर भी प्रश्न उठाता है, तो क्या होना चाहिए:*

१. जीएसटी रजिस्ट्रेशन में जरूरी भौतिक सत्यापन थर्ड पार्टी से आउटसोर्सिंग द्वारा करवाया जाना चाहिए.

२. लोगों के केवायसी का सत्यापन सरकारी वेबसाइट जैसे कि डिजिलाकर से होना जरूरी किया जावे.

३. केवाईसी देने वाले व्यक्ति से टेलीफोन पर और मैसेज द्वारा कंफरमेशन जरुर से किया जावे.

४. आधार कार्ड में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर उसी व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड हो एवं उसे डायल कर कन्फर्मेशन को प्रक्रिया का एक जरूरी हिस्सा माना जावे.

५. आउटसोर्सिंग एजेंसी सरकारी नियमों के तहत केवायसी, व्यापार जगह और व्यापारी का भौतिक सत्यापन करेगी एवं गलती होने पर नुकसान की भरपाई भी ऐसी एजेंसी को करनी होगी.

६. डिजिटल लेनदेन एवं साइबर सुरक्षा पर कड़े नियम और प्रावधान के साथ ही जन सामान्य में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लाना और नियमों का प्रचार प्रसार बढ़ाना होगा. आसान प्रिमियम पर डिजिटल इंश्योरेन्स की व्यवस्था बहुत जरूरी होगा.

७. सबसे बड़ी बात सरकार को भी ध्यान देना होगा की टैक्स के नियमों और कानूनों में जितनी सरलता होगी एवं जितने कम अनुपालन होंगे, उतनी टैक्स चोरी कि संभावनाएं कम होगी.

*सरकार को वक्त रहते नीति निर्धारण में व्याप्त खामियों को दूर करते हुए फर्जीवाड़े पर नियंत्रण करना होगा ताकि सही तौर पर व्यापार करना आसान हो और लोग स्वत ही रजिस्ट्रेशन लेने के लिए आगे बढ़ें.*

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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