अरुण दीक्षित:
अंततः शिवराज सरकार झुक गई!उसने अपनी आबकारी नीति में बदलाव कर लिया है।इसे उमा भारती की जीत माना जा रहा है।लेकिन यह पूरा सच नही है।सच यह है कि प्रदेश के लोधी मतदाताओं के डर ने सरकार को फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया है।चुनावी साल है!इसमें आपको कई ऐसे फैसले देखने को मिलेंगे!
पहले बात सरकार के फैसले की!रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल की खास बैठक बुलाई।आमतौर पर मंत्रिमंडल की बैठक मंगलवार को होती थी।यह पहले से पता था कि इस बैठक में अन्य फैसलों के साथ साथ नई आबकारी नीति भी तय होगी लेकिन फिर भी पूरे दिन अटकलों का दौर चलता रहा।शाम को बैठक हुई और नई नीति सामने आ गई!
यह सब जानते हैं कि 20 साल पहले, अकेले अपने दम पर बीजेपी को सत्ता में लाने वाली उमा भारती आजकल राजनीति के बियाबान में अकेली भटक रहीं हैं।बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया है।जो उनके अपने माने जाते थे वे साथ छोड़ कर जा चुके हैं।सत्ता के मजे ले रहे हैं।
राजनीति की मुख्यधारा में वापसी के लिए छटपटा रहीं उमा ने हर हथकंडा अपनाया।कई बार नेतृत्व पर सवाल भी उठाए।साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यशगान भी किया।भोपाल से उत्तराखंड तक दौड़ती रही उमा को जब कोई रास्ता नहीं मिला तो उन्होंने प्रदेश में शराबबंदी का मुद्दा उठाया!
पिछले दो साल से ज्यादा समय से उमा प्रदेश में शराबबंदी का मुद्दा उठा रही हैं।उन्होंने कई बार चिट्ठियां लिखीं!ट्वीट किए!मीडिया से बात की।आंदोलन की धमकी दी!छोटे मोटे आंदोलन किए भी।शराब की दुकान पर पत्थर फेंके!शराब की दुकान के आगे गायों को घास खिलाई।साथ ही दुकान में गोबर भी फेंका।कुछ दिन एक दुकान के सामने धरना भी दिया।
बीच बीच में मुख्यमंत्री से वार्तालाप भी किया।लेकिन मुख्यमंत्री नही पसीजे!उन्हें अपनी सरकार की कमाई दिख रही है।यही वजह है कि पिछले साल उमा की।मांगों को दरकिनार करते हुए उन्होंने शराब की दुकानों की संख्या दोगुनी कर दी!हालांकि इसके लिए नए लाइसेंस नही दिए!बस देसी की दुकान पर विदेशी और विदेशी की दुकान पर देसी शराब बेचने की इजाजत दे दी।दुकानें अपने आप दोगुनी हो गईं!
बाद में सरकार ने शराबबंदी की जगह नशाबंदी की बात कही।उमा भी उस पर मान गईं लेकिन यह मामला भी हवा में ही तैरता रहा।
जब किसी भी तरह सरकार बात मानने को तैयार नहीं हुई तो उमा भारती ने वह दांव चला जिसने बीजेपी और संघ दोनों के कानों में घंटियां बजा दीं।
उमा भारती अचानक अपनी बिरादरी में लौट गईं।उन्होंने प्रदेश में लोधी समाज में अपनी सक्रियता बढ़ाई।इसका मौका भी उन्हें बीजेपी की प्रदेश इकाई ने दिया।
उमा भारती के एक करीबी प्रीतम लोधी ने समाज की एक सभा में ब्राह्मणों पर टिप्पणी कर दी।अचानक कुछ ब्राह्मणों का सम्मान जाग गया।इस पर प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने प्रीतम लोधी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।हालांकि प्रीतम ने बिना शर्त माफी मांग ली थी।इस मामले ने तूल तब पकड़ी जब सनातन धर्म और ब्राह्मणों के स्वयंभू ठेकेदार बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने प्रीतम लोधी की ठठरी बांधने का ऐलान किया।शिवराज के मंत्री उनके दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे।
इसके बाद उमा सक्रिय हुईं।वे प्रीतम लोधी के घर पहुंची।उन्होंने बीजेपी के फैसले पर सवाल भी उठाया!लोधी समाज से अपने रिश्ते की बात कही।इसके साथ ही उमा एक बार फिर प्रदेश की लोधी राजनीति में सक्रिय हुईं।
यह तथ्य सर्वविदित है कि प्रदेश की राजनीति में लोधी समाज की अहम भूमिका है।चार लोकसभा क्षेत्र और करीब दो दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में लोधी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
पिछले विधानसभा चुनाव में लोधी प्रत्याशी बड़ी संख्या में विधानसभा के लिए चुने गए थे।लेकिन इनमें कांग्रेस के टिकट पर ज्यादा जीते थे।सब जानते हैं कि 2018 में बीजेपी विधानसभा चुनाव हारी थी।
यह अलग बात है कि खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच कांग्रेस के विधायकों को तोड़ बीजेपी ने 15 महीने बाद ही कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी!तब कांग्रेस के टिकट पर जीते कई लोधी विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे।कुछ तो उमा का आशीर्वाद लेकर वापस घर लौटे थे।
पिछले कुछ महीने से उमा लोधी समाज को एकजुट करने के काम में लगीं थीं।उनकी तैयारी करणी सेना की तर्ज पर शक्ति प्रदर्शन कराने की थी।इस बीच उन्होंने संघ प्रमुख से भी मुलाकात की थी।ओरछा जाकर रामराजा मंदिर के पास खुली शराब की दुकान का विरोध भी किया था।
माना जा रहा है लोधी समाज की “एकता” ने शिवराज को अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया है।
हालांकि उमा बिहार जैसी शराबबंदी चाहतीं हैं।लेकिन फिलहाल सरकार ने फैसला किया है कि शराब की दुकानों के साथ मिलने वाली वहीं बैठकर पीने की व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी।एक अप्रैल 2023 से शॉप बार और दुकानों से लगे अहाते बंद हो जाएंगे।स्कूल और पूजा स्थलों के पास शराब की दुकानें नही खुलेंगीं ।जो हैं उन्हें कम से कम 100 मीटर दूर किया जाएगा। जिन दुकानों का विरोध हो रहा है उन्हें हटाया जाएगा।शराब पीने वालों को हतोत्साहित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।प्रदेश में शराब बिकती रहेगी।
उमा भारती ने सरकार के फैसले पर खुशी जाहिर की है।प्रदेश की महिलाओं की तरफ से सरकार का अभिनंदन किया है।मजे की बात यह है कि उन्होंने प्रीतम लोधी को गाली देने वाले धीरेंद्र शास्त्री को पुत्रवत बताया है।
फिलहाल देखना यह है कि उमा अब क्या करेंगी?जो उन्हें करीब से जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि उमा अपने “पुराने जख्मों” को जल्दी से नही भूलती हैं।और यह बात सभी जानते हैं कि उमा की लाई सरकार पर काबिज होने के बाद शिवराज सिंह ने ही उन्हें प्रदेश छोड़ने को मजबूर किया था।वे उत्तरप्रदेश के जरिए बीजेपी में तो लौटी हैं लेकिन एमपी की राजनीति में अभी भी हाशिए पर हैं।जब तक शिवराज सीएम हैं तब तक इस बात की उम्मीद भी नही की जा सकती है।
अपने अस्थिर चित्त की वजह से अपना बड़ा नुकसान कर चुकीं उमा अब आगे क्या करेंगी यह तो वक्त ही बताएगा।लेकिन लोधी समाज में उन्होंने जागृति ला दी है।वोट के चक्कर में सबके सामने झुक रही बीजेपी इसे कैसे संभालेगी यह तो वही जाने!पर इतना तय है कि भाई बहन (उमा -शिवराज) का यह प्यार अभी कई कसौटियों पर कसा जायेगा।विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं।तब तक गंगा और नर्मदा दोनों में बहुत पानी बह जाएगा।उमा इन दोनों को अपना सब कुछ मानती हैं।गंगा की तो नही कह सकते लेकिन नर्मदा कभी भी उमा को उद्वेलित कर सकती हैं।
पर कुछ भी हो अपना एमपी गज्जब है।है कि नहीं!भाई बहन के “प्यार ” की ऐसी मिसाल और कहां देखने को मिलेगी!!!