द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारतीय जनता पार्टी मौजूदा कार्यकाल के दौरान शायद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को ना लाये.
यूसीसी बीजेपी के वैचारिक एजेंडे का अंतिम वादा है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के का काम पहले ही हो चुका है.
अख़बार ने पार्टी के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भले ही इस कार्यकाल के दौरान यूसीसी ना लाया जाए, पार्टी इसे मुद्दे पर राजनीतिक चर्चा के ज़रिए इसे ज़िंदा और ताज़ा रखेगी.
समान नागरिक संहिता एक ऐसा प्रस्तावित क़ानून है जो भारत में सभी धर्मों के लोगों की शादी, तलाक़, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों में समान रूप से लागू होगा. फिलहाल भारत में व्यक्तिगत मामलों पर अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग क़ानून लागू हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून को भोपाल में रैली के दौरान यूसीसी के मुद्दे पर बात की थी और ये माना जा रहा था कि ये क़ानून जल्द ही लाया जा सकता है.
हालांकि अख़बार ने पार्टी के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस क़ानून को लाने से पहले गहरे शोध और व्यापक सलाह-मशवरे की ज़रूरत है, ऐसे में मौजूदा कार्यकाल के दौरान शायद इसे ना लाया जा सके.
हालांकि इस मुद्दे को ज़िंदा रखने के लिए बीजेपी के कई नेताओं ने इस पर बयान दिये हैं. शुक्रवार को झारखंड से बीजेपी के लोकसभा सांसद सुनील कुमार सिंह ने यूसीसी पर प्राइवेट मेंबर बिल (निजी विधेयक) भी पेश किया, हालांकि लोकसभा इस दौरान स्थगित रही और विधेयकों पर चर्चा नहीं हुई.
बीजेपी शासित कई राज्यों की सरकारें राज्य में यूसीसी विधेयक लाने पर काम कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात पहले से ही इस दिशा में काम शुरू कर चुके हैं जबकि उत्तर प्रदेश और असम ने अभी इस दिशा में बड़े क़दम नहीं उठाये हैं.