द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर शांतिनिकेतन में अपनी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े के आरोप लगाये हैं और कहा है कि वो अपनी ज़मीन को खाली करवाकर रहेगी.
इससे पहले 304 शिक्षाविदों ने अमर्त्य सेन के समर्थन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है.
इस पत्र के बाद विश्व भारती ने कहा है कि वह अमृत्य सेन के ख़िलाफ़ अदालत में लड़ती रहेगी.
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा, “ये हैरान करने वाला है कि भारत में बहुत से लोग और कुछ विदेशी लोग ये साबित करने में लगे हैं कि विश्व भारती का ये दावा कि प्रोफ़ेसर अमृत्य सेन ने उसकी 13 डेसिमल ज़मीन पर अवैध़ क़ब्ज़ा किया है, ग़लत है. हम ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि भले ही कोई भी अमृत्य सेन का समर्थन करें, हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे.”
उन्होंने कहा, “ये ज़मीन विश्व भारती की है और विश्व भारती इसे हासिल करने के लिए नैतिक रूप से बंधी हुई है. ये ज़मीन क़ानूनी तौर पर उस संस्थान की है जिसकी नींव नोबेल विजेता गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर ने रखी थी.”