अगर मोदी अब भी नहीं चेते, तो अडानी इनको ख़त्म कर देंगे’

‘अगर मोदी अब भी नहीं चेते, तो अडानी इनको ख़त्म कर देंगे’
‘ये संसद में एक सवाल का भी जवाब नहीं दे पाए हैं अडानी पे.
भाई, इससे काम नहीं चलता. बताओ तो क्या बात है!जो अपने
बचाव में एक लफ्ज़ नहीं बोल सके.’ पीएम से मलिक का सवाल

नई दिल्ली: वायर न्यूज पोर्टल पर पत्रकार करण थापर से हुई बातचीत में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बीते कुछ महीनों से विवादों के केंद्र में बने हुए कारोबारी गौतम अडानी और विपक्ष द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार पर उन्हें फायदा पहुंचाने के आरोपों पर भी बात की.करण थापर ने अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के बाद स्टॉक मार्केट में आई गिरावट का जिक्र किया और मलिक से इस मसले पर प्रधानमंत्री की ख़ामोशी के बारे में पूछा. उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या मोदी ने इस मसले को उचित तरह से संभाला.

जवाब में मलिक ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं. …पहले दिन से ही हाथ छुड़ा लेना चाहिए था, क्योंकि इसमें बहुत डैमेज हुए हैं. बात नीचे तक चली गई है. अभी मैं यूट्यूब पर गाना सुन रहा था, एक दलित लड़की है, वो गाना गा रही है ‘ये न चायवाला है, न गायवाला है, ये अंबानी-अडानी का ये लगता साला है, इसने देश बेच डाला है’- अगर ये भाषा स्थानीय बोली में नीचे तक चली जाती है, तो आप समझो कि नुकसान हुआ है कि नहीं हुआ.’

थापर ने आगे पूछा, ‘1989 में वीपी सिंह ने बोफोर्स घोटाले को एक चुनावी मुद्दा बनाते हुए राजीव गांधी को हरा दिया था. 2024 में क्या अडानी कोई चुनाव मुद्दा होंगे?’

इस पर मलिक जवाब देते हैं, ‘निश्चित तौर पर होंगे. अगर ये अभी नहीं चेते तो अडानी इनको ख़त्म कर देंगे. अगर विपक्ष ने एक उम्मीदवार के बदले एक उम्मीदवार दे दिया, तो बच ही नहीं सकते हैं. ये सरकार पहचानी भी नहीं जाएगी, इतना कम संख्या-बल आएगा इनका.’

थापर कहते हैं, ‘यानी ख़ामोशी से प्रधानमंत्री साहब खतरों से खेल रहे हैं?’

मलिक हामी भरते हुए कहते हैं, ‘हां, पता नहीं उन्हें कोई सलाह देता है या नहीं, मैं दे रहा हूं. खतरा उठा रहा हूं.कि मेहरबानी करके अडानी से हाथ छुड़ा लीजिए. मुझे वो एक दिन के लिए बुला लें, मैं उन्हें बता दूंगा कि ये-ये चीजें कर लें.’

इसके बाद करण थापर विपक्षी कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार पर अडानी समूह से सांठगांठ के आरोपों की तरफ इशारा करते हुए पूछते हैं, ‘राहुल गांधी जो सवाल उठा रहे हैं कि 20 हज़ार करोड़ रुपये वाला…

मलिक टोकते हैं, ‘जिसका वो जवाब नहीं दे पा रहे हैं…’

थापर बात पूरी करते हैं, ‘जी वही. आपको क्या लगता है कि इसमें सिर्फ मोदी साहब ही हैं?’

मलिक हंसते हुए कहते हैं, ‘मुझसे मत बुलवाइए. लोगों में बहुत बुरी-बुरी बातें चली गईं. लोग ये मानने लगे हैं कि अडानी के फाइनेंशियल मामलों में इनकी दिलचस्पी है.

थापर कहते हैं, ‘अगर दिलचस्पी है तो फायदा भी होगा, पैसा भी होगा?’

मलिक जोड़ते हैं, ‘जी. देखिए जो राज्य सरकारें भ्रष्ट हैं इनकी, जिन्हें मैं उंगलियों पर गिन सकता हूं- वहां का रुपया मुख्यमंत्री तो सारे खा नहीं रहे हैं, वो यहां भी आ रहा है. यहां से भी कहीं और जा रहा होगा. हो सकता है अडानी को जा रहा हो. लोग इस तरह की चर्चा करते हैं.’

थापर बातचीत के एक पिछले हिस्से का जिक्र करते हुए कहा, ‘बात फिर भ्रष्टाचार की आ गई. आपने पहले गोवा का जिक्र किया था. अब अडानी के मामले में लग रहा है कि इनको फायदा है.’

इस पर मलिक कहते हैं, ‘भई आप देखिए कि ये संसद में एक सवाल का भी जवाब दे पाए हैं अडानी पे. ये तो कर रहे थे ‘एक अकेला!’ भाई, इससे काम नहीं चलता. बताओ तो क्या बात है! वो अपने बचाव में एक लफ्ज़ नहीं बोल सके.’

करण कहते हैं, ‘वो आपसे ये सब सुनकर बहुत नाराज होंगे!’

मलिक जवाब देते हैं, ‘हां. पर क्या कर सकते हैं. मरवा मुझे नहीं सकते… समुदाय मेरा भी बहुत बड़ा है, छेड़ा तो दुर्गति हो जाएगी इनकी! और मेरे समुदाय में किसानों के मुद्दों पर बोलने के बाद मुझसे इतनी हमदर्दी है कि जिस दिन मुझे छेड़ेंगे, इनको पता चल जाएगा. पब्लिक मीटिंग नहीं कर पाएंगे कहीं. वैसे मेरे पास कुछ है नहीं. फकीर आदमी हूं, किराये के मकान में रहता हूं, प्रॉपर्टी मैंने बनाई नहीं है. बाप-दादा की जमीन भी बेच ली राजनीति में आ के.’

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