कुम्भ स्नान का विशेष तिथियों से संयोग होना विशेष महत्त्व रखता है

कुम्भ दिव्य स्नान   कुम्भ स्नान का विशेष तिथियों से संयोग होना विशेष महत्त्व रखता है। इन संयोग के दिनों को शाही स्नान कहा जाता रहा है ‌ यहां शाही शब्द शहंशाह से जुड़ा हुआ है। यह मुगल शासकों और उर्दू फारसी भाषा का प्रभाव है। इस कुंभ में शाही स्नान की जगह राजसी_स्नान शब्द…

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भविष्य के हरेक काम में सन्देह है, पर मरने में कोई सन्देह नहीं है |

_   अभी आपके पास सब कुछ है, फिर भी भविष्य के लिए आप धन चाहते हैं। यदि आपको भविष्य का विचार करना ही है तो फिर अधूरा विचार क्यों करो ? मरने के बाद का भी विचार करो |   मरने के बाद क्या दशा होगी ? वहाँ क्या प्रबन्ध होगा ? भविष्य के…

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शाकाहार_और_मांसाहार. : दोनों के भ्रम से बचें । 

#सभी_सनातनधर्मावलम्बी_ध्यान_दें –   #शाकाहार_और_मांसाहार. : दोनों के भ्रम से बचें ।   यज्ञशिष्टाहार का प्रसार करें ———–   सनातन धर्म में नास्तिकता को प्रश्रय नहीं मिलना चाहिये । मांसाहार और शाकाहार का भेद पशुओं को लेकर होता है, मानवों में यह भेद पाश्चात्य विचारधारा की लीला है । भारतीय सनातन संस्कृति दार्शनिक , वैज्ञानिक एवं…

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जानें तीर्थ यात्रा के नियम ओर लाभ

#तीर्थयात्रा_की_शास्त्रोक्त_विधि   हमारे धर्म एवं संस्कृति में तीर्थयात्रा का बड़ा महत्व है, कहते है, तीर्थयात्री के लिए कुछ भी वस्तु अलभ्य नही है । वह जो चाहे, वह सबकुछ पा सकता है । किंतु आज के समाज मे , तीर्थयात्रा पर भी सवाल है, लोगो का तीर्थ यात्रा के प्रति, विश्वास कम होता जा रहा…

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अगले वर्ष हैं 2 चंद्रग्रहण, भारत में एक नज़र आएगा जबकि दूसरा अदृश्य होगा

    अगले वर्ष दुनिया में दो चन्द्र ग्रहण होगे। पहला भारत में अदृश्य रहेगा जबकि दूसरा भारत पर प्रभाव छोड़ेगा…. 🔸पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को ::: साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10:41 बजे से दोपहर 14:18…

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आनंदमय जीवन का नींव ।

_   जहाँ प्रेम होता है वहाँ परमात्मा भी जीव के बस में हो जाते हैं। प्रेम में अद्भुत सामर्थ्य है। चाहे केवट के आगे हो, चाहे शबरी के आगे हो, चाहे हनुमानजी के आगे वो, चाहे सुग्रीव के आगे हो या चाहे विभीषण के आगे हो, प्रेम के वशिभूत होकर कितनी ही बार उन…

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विभिन्न प्रकार की सिद्धियां और उनके लक्षण l

  विभिन्न प्रकार की सिद्धियां और उनके लक्षण!!!!!!   श्रीमद्भागवत के 11वे स्कन्ध के 15वे अध्याय में उद्धवजी भगवान श्रीकृष्ण से कहते हैं—‘हे केशव ! आप ही योगियों को सिद्धियां देते हैं, कृपया उनकी संख्या और उनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए ।’ तब भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी को भिन्न-भिन्न प्रकार की सिद्धियों और उनके लक्षणों…

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जो उत्पन्न हुआ है, वह खत्म होगा ।।

  जो कुछ भी इस संसार में उत्पन्न हुआ है वह एक न एक दिन समाप्त होगा। वह मन में कोई भाव ही क्यों न उत्पन्न हुआ हो, वह भी जाएगा। यह नियम है। जो उत्पन्न हुआ है, वह मरेगा–यह नियम है | जाते हुए को हम भूल से आया हुआ मान लेते हैं |…

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आत्म ज्ञान ही मोक्ष हैं।

  भारत की सनातन हिन्दू परंपरा में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ बताए गए हैं — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष| पुरुषार्थ से तात्पर्य मनुष्य जीवन के लक्ष्य या उद्देश्य से है| इन्हें पुरुषार्थचतुष्टय भी कहते हैं| इनमें भी मोक्ष को परम पुरुषार्थ माना गया है। *मोक्ष क्या है?*   जब दृष्टि, दृश्य और दृष्टा…

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मनुस्मृति पुरातन भारतीय सामाजिक व्यवस्था का शास्त्र हैं।

    मनुस्मृति को लेकर वे लोग बहुत अधिक बोल जाते हैं, जिन्होंने पढ़ना तो दूर उसे कभी देखा भी नहीं है। हम सब प्राय: प्रतिदिन ही देखते रहते हैं कि ग्रन्थ को बिना ही पढे लोग उस पर अपना फतवा जारी कर देते हैं।   मनुस्मृति की एक पंक्ति को पकड़ लाये, पूछने लगे…

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