महाकुंभ : मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान के लिए भारी संख्या में त्रिवेणी संगम पहुंच रहे नागा साधु
महाकुंभ : मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान के लिए भारी संख्या में त्रिवेणी संगम पहुंच रहे नागा साधु
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महाकुंभ : मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान के लिए भारी संख्या में त्रिवेणी संगम पहुंच रहे नागा साधु
इस वर्ष मकर संक्रांति है बेहद खास , 19 वर्ष बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, विधियां अपनाने से आपको होगा अत्यन्त लाभ 🟡 इस साल बेहद ही दुर्लभ संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कि जब सूर्य धनु राशि से निकल मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर…
आस्था की डुबकी, श्रद्धालुओं का सैलाब महाकुंभ में 2 करोड़ लोगों ने संगम तट पर किया स्नान महाकुंभ में देश ही नहीं दुनिया भर से श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं. महाकुंभ के पहले पवित्र स्नान यानी पौष पूर्णिमा के मौके पर दो करोड़ से भी अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. उधर, मुख्यमंत्री…
मानसिक संबल को बनाए कैसे रहें और यदि हमारे प्रारब्ध में कुछ दुर्भाग्य लिखा है तो उसे सौभाग्य में कैसे बदलें? इसका जवाब गुरु वसिष्ठ और श्रीराम के बीच हुए धर्म संवाद के रूप में उपलब्ध ‘योगवासिष्ठ:’ में हमें मिलता है। श्री राम पूछते हैं, “गुरुदेव यदि संसार में सब बातें नियमित हैं (…
मन का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह बाहर ही हर चीज खोजता है। तृषित रहना मन का स्वभाव है। वह कभी तृप्त न होगा। परमात्मा ने इंद्रियों को इसी तरह बनाया है कि वह बाहर ही झांकती हैं – आंख, कान, नाक जिह्वा, त्वचा, इन सब के रस के विषय वस्तु…
*ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?* रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से…
*भारत स्वतंत्र हुआ, पर कैद ही रह गया पुराणों का अक्षयवट: पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में हिंदू कर सकेंगे दर्शन, अकबर का लगाया प्रतिबंध मोदी राज में हटा* *अक्षयवट का महात्म्य, सीएम योगी ने मुगलकाल के प्रतिबंध हटाए* कहा जाता है कि प्रयागराज कुंभ में स्नान का फल तभी मिलता है, जब वहाँ स्थित अक्षयवट…
L {ब्रह्मलीन श्रद्धेयस्वामीरामसुखदासजी महाराज} — :: x :: — पोस्ट—१०४ * हमने शरीरके साथ सम्बन्ध मान रखा है, तभी मृत्युका भय लगता है | शरीरके साथ हमने दो रीतिसे सम्बन्ध माना है—अभेदपूर्वक {शरीर मैं हूँ} और भेदपूर्वक {शरीर मेरा है} | वास्तवमें ‘मैं’ और ‘मेरा’ दोनों हैं ही नहीं | *…
_✒जीवन मे कठिन परिस्थिति की पाठशाला ही वास्तविक शिक्षा देती है। व्यक्ति को बुरे कर्मों की वजह से ही दुख नही मिलते कई बार हद से ज्यादा अच्छे होने की भी कीमत चुकानी पड़ जाती हैं ऐसी कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करने पर एक बहुमूल्य संपत्ति विकसित होती हैं जिसका नाम है *आत्मबल*_ _”परिस्थितियाॅ कैसी…
कुम्भ दिव्य स्नान कुम्भ स्नान का विशेष तिथियों से संयोग होना विशेष महत्त्व रखता है। इन संयोग के दिनों को शाही स्नान कहा जाता रहा है यहां शाही शब्द शहंशाह से जुड़ा हुआ है। यह मुगल शासकों और उर्दू फारसी भाषा का प्रभाव है। इस कुंभ में शाही स्नान की जगह राजसी_स्नान शब्द…