coronavirus:75 जिले लॉक डाउन, सभी प्रकार के सार्वजनिक परिवहन पर रोक ,जानें- क्या होता है लॉकडाउन

-यात्री रेलगाड़ी, अंतरराज्यीय बस परिवहन, मेट्रो के संचालन पर 31 मार्च तक लगी रोक

नई दिल्ली, ।केंद्र सरकार ने देश के उन 75 जिलों में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर पूरी तरह बंद (लॉकडाउन) करने का निर्देश दिया है है जहां कोविड-19 (कोरोना वायरस) से संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही यात्री रेलगाड़ियों, सभी मेट्रो और अंतर राज्यीय बस परिवहन के संचालन पर भी 31 मार्च तक रोक लगा दी गई है।
रविवार को कैबिनेट सचिव राजीव गाबा और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा के साथ राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया कि देश के जिन जिलों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई है अथवा इस संक्रामक रोग के कारण किसी की मौत हुई है, उन जिलों को आवश्यक सेवाओं के अलावा पूरी तरह बंद कर दिया जाए।

लॉकडाउन क्या है?, जानें तब कैसे रहते हैं लोग

कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए देश के तमाम शहरों में लॉक डाउन जैसे हालात बन रहे हैं. लोग अपने अपने घरों में कैद हो रहे हैं. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों जैसे चीन, इटली, स्पेन, लंदन आदि में पूरी तरह लॉक डाउन की स्थ‍िति कायम है. आइए जानते हैं आख‍िर ये लॉक डाउन क्या है. इसका कानूनी प्रारूप क्या है, ये कब-कब और कहां किया गया.

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं निकल सका है. इससे बचने का एक ही रास्ता है, वो है संक्रमि‍त व्यक्ति‍ से बचाव. देश में जिस तरह से लगातार संक्रमित व्यक्ति‍यों की तादाद बढ़ रही है. उसे देखते हुए हर व्यक्‍त‍ि सोशल डिस्टेंसिंग को अपना रहा है. दिल्ली सरकार ने तो सिनेमा हॉल, स्कूल और मॉल तक बंद करने के आदेश दे दिए हैं. रविवार को दिल्ली में मेट्रो सेवाएं भी बंद रहेंगी.

जानें- क्या होता है लॉकडाउन
दरअसल लॉकडाउन एक एमरजेंसी व्यवस्था है जो एपिडेमिक या किसी आपदा के वक्त शहर में सरकारी तौर पर लागू होती है. लॉक डाउन की स्थ‍िति में उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है. उन्हें सिर्फ दवा या अनाज जैसी जरूरी चीजों के लिए बाहर आने की इजाजत मिलती है. या फिर बैंक से पैसा निकालने के लिए भी जा सकते हैं.
क्यों किया जाता है लॉकडाउन

किसी सोसायटी या शहर में रहने वाले वहां के स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य या अन्य जोख‍िम से बचाव के लिए इसे लागू किया जाता है. इन दिनों कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है. लेकिन ये इतना सख्ती से अभी लागू नहीं है. इसे सरकार के बजाय इस बार लोग खुद अपने पर लागू कर रहे हैं. उदाहरण के लिए इटली के कई इलाकों में खुद ही लोगों ने अपने आपको घरों में कैद कर लिया था. ताकि कोरोना का संक्रमण उन तक न पहुंचे. वहीं जिन इलाकों में संक्रमित व्यक्ति‍ ज्यादा मिल जाते हैं, वहां भी लॉकडाउन लागू कर दिया जाता है.

 

कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए चीन, डेनमार्क, लंदन, अमेरिका, अल सलवाडोर, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, न्यूजीलैंड, पोलैंड और स्पेन में लॉकडाउन जैसी स्थिति है. बता दें कि चीन में ही सबसे पहले कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सामने आया था, इसलिए सबसे पहले वहां लॉकडाउन किया गया. वहां की सरकार ने लोगों को एक तरह से हाउस अरेस्ट रहने के लिए कहा.

इसी तरह जब इटली में स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई कि वहां हजारों की संख्या में संक्रमित लोग मिलने लगे. ऐसे में इटली के प्रधानमंत्री ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया. फिर इटली के नक्शेकदम पर स्पेन और फ्रांस ने भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यही कदम उठाया.

 

सबसे पहले अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के बाद पूरा देश लॉकडाउन किया गया. तत्कालीन अमेरिकी सरकार ने वहां तीन दिन का लॉकडाउन किया गया था. दिसंबर 2005 में न्यू साउथ वेल्स पुलिस फोर्स ने दंगा रोकने के लिए लॉकडाउन किया था.

19 अप्रैल, 2013 को बोस्टन शहर को आतंकियों की खोज के लिए लॉकडाउन कर दिया गया था. * नवंबर 2015 में पैरिस हमले के बाद संदिग्धों को पकड़ने के लिए साल 2015 में ब्रुसेल्स में पूरे शहर को लॉकडाउन किया गया था.

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