विजया एकादशी व्रत आज 

 

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हिंदू धर्म में विजया एकादशी का विशेष महत्व है। इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। क्योंकि यह दिन जगत पालनहार विष्णु जी को समर्पित है।

इसलिए विजया एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

 

विजया एकादशी का महत्व

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में विजय की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व इस व्रत का पालन किया था। इस व्रत के प्रभाव से शत्रुओं पर विजय, पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

तिथि और शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी तिथि कहते हैं। इसबार विजया एकादशी की शुरुआत 23 फरवरी 2025 को दोपहर के 01 बजकर 55 मिनट पर शुरु होगी। वहीं अगले दिन 24 फरवरी दिन सोमवार को शाम के 01 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए 24 फरवरी सोमवार को विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

 

व्रत पूजा विधि

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व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें।

भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। जैसे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। विजया एकादशी की कथा का श्रवण या पाठ करें। भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद वितरण करें। संभव हो तो रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का स्मरण करें।

 

व्रत के नियम

व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। तामसिक भोजन, जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार आदि का सेवन न करें। झूठ, चोरी, हिंसा आदि से दूर रहें। व्रत के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है।

विजया एकादशी का व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति का वास होता है।

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