जो बीत चुका हुआ, वह अतीत है और जो आने वाला है वह भविष्य हैं, किंतु यह दोनों ही हमारे हाथ में नहीं होते केवल कल्पनाओं में होते हैं। अतीत और भविष्य सिर्फ चिंतन में होते हैं, इनमें प्रवेश करके जीवन नहीं जिया जा सकता। अतीत हमें परेशान व प्रसन्न करता है। भविष्य भी प्रेरित व चिंतित भी करता है, लेकिन केवल वर्तमान ही है जिसमें आप मनचाहा कार्य कर सकते हैं। अतीत वह आकार है जो ढल चुका और भविष्य वह आकार है जो अभी तक बना नहीं है, लेकिन वर्तमान वह आकार है जो अभी हमारे समक्ष उपलब्ध हैं, जिसे हम मनचाहा स्वरूप दे सकते हैं। वर्तमान में स्वयं को स्थित करके इसके साथ गतिशील होना ही सफल लोगों का गुण हैं। *प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक लाओत्से ने वर्तमान के महत्व को दर्शाते हुए कहा है कि* ,आप उदास हैं, इसका अर्थ है आप अतीत में जी रहे है। आप चिंतित है, इसका अर्थ है आप भविष्य में जी रहे हैं। किंतु आप शांति में है, तो मान लीजिए की आप वर्तमान में जी रहे हैं। ये बात स्वयं भी अनुभव की जा सकती है, अभी आप भविष्य और अतीत की स्मृति से बाहर निकलकर स्वयं को केवल वर्तमान में स्थिर करके देखिए, ना तनाव होगा, ना दुख, ना पीड़ा, ना चिंता। आप सब के पार होंगे, परम आनंद में होंगे। वर्तमान सच में उपहार ही है।